बिहार-यूपी समेत सात राज्‍यों के 253 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल निष्क्रिय घोषित

नई दिल्ली देश मुख्य समाचार
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  • निर्वाचन आयोग ने की कार्रवाई

नई दिल्‍ली। भारत निर्वाचन आयोग ने 86 और निष्क्रिय पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटा दिया। अतिरिक्त 253 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को ‘निष्क्रिय आरयूपीपी’ के रूप में घोषित किया। अनुपालन नहीं करने वाले इन 339 पंजीकृत आरयूपीपी के विरुद्ध की गई इस कार्रवाई से 25 मई, 2022 से चूक करने वाले ऐसे आरयूपीपी की संख्या बढ़कर 537 हो गई है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय की अगुवाई में यह कार्रवाई हुई।

86 आरयूपीपी या तो संबंधित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किए गए प्रत्यक्ष सत्यापन के बाद या डाक प्राधिकारी से संबंधित पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) के पंजीकृत पते पर भेजे गए। अवितरित पत्रों/नोटिसों की रिपोर्ट के आधार पर निष्क्रिय पाए गए हैं।

अनुपालन नहीं करने वाले 253 आरयूपीपी के विरुद्ध यह निर्णय सात राज्यों बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है। ये 253 आरयूपीपी निष्क्रिय घोषित किए गए हैं, क्योंकि उन्हें भेजे गए पत्र/नोटिस का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।

ना तो किसी राज्य के विधानसभा का आम चुनाव और ना ही वर्ष 2014 एवं 2019 में संसदीय चुनाव लड़ा है। ये पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल वर्ष 2015 से 16 से अधिक अनुपालन कदमों के संबंध में सांविधिक अपेक्षाओं का पालन करने में असफल रहे हैं। उन सब की यह चूक लगातार जारी है।

उपरोक्त 253 दलों में से 66 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ने वास्तव में चुनाव चिन्ह आदेश 1968 के पैरा 10बी के अनुसार एक समान चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन किया था। संबंधित निर्वाचनों को नहीं लड़ा था। यह ध्यान देने योग्य है कि एक राज्य के उक्त विधानसभा निर्वाचन के संबंध में कुल उम्मीदवारों में से कम से कम 5 प्रतिशत उम्मीदवार को रखने के लिए एक वचनबंध के आधार पर आरयूपीपी को एकसमान (कॉमन) चुनाव चिन्ह का विशेषाधिकार दिया जाता है।

ऐसी पार्टियों द्वारा निर्वाचन लड़े बिना अनुमत्य पात्रताओं का और निर्वाचन पूर्व उपलब्ध राजनीतिक सुविधाओं (छूट) का लाभ उठाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह वास्तव में निर्वाचन लड़ने वाले राजनीतिक दलों की भीड़ को भी बढ़ाता है। मतदाताओं के लिए भ्रमित करने वाली स्थिति भी पैदा करता है।

चुनाव आयोग के निर्देश

i) 86 निष्क्रिय आरयूपीपी, आरयूपीपी के रजिस्टर की सूची से हटा दिए जाएंगे। चुनाव चिन्ह आदेश, 1968 के तहत लाभ पाने के हकदार नहीं होने के लिए स्वयं उत्तरदायी होंगे।

ii) लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29क के तहत आयोग द्वारा अनुरक्षित आरयूपीपी के रजिस्टर में 253 आरयूपीपी को ‘निष्क्रिय आरयूपीपी’ के रूप में चिह्नित किया गया है।

iii)  ये 253 आरयूपीपी निर्वाचन चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत कोई भी लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होंगे।

iv)  इससे व्यथित कोई भी पक्ष, इस निर्देश के जारी होने के 30 दिनों के भीतर संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी/निर्वाचन आयोग से अस्तित्व के सभी साक्ष्य, अन्य कानूनी और नियामक अनुपालन सहित वर्षवार (चूक के सभी वर्षों के लिए) वार्षिक लेखा परीक्षित खाते, अंशदान रिपोर्ट, व्यय रिपोर्ट, वित्तीय लेनदेन (बैंक खाते सहित) के लिए अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं सहित पदाधिकारियों के अद्यतन विवरण के साथ संपर्क कर सकता है।

v) इन 253 आरयूपीपीएस में से 66 आरयूपीपी, जिन्होंने विभिन्न निर्वाचनों में पैरा 10ख के तहत एकसमान चिन्ह की मांग की थी, लेकिन संबंधित आम चुनावों के लिए कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था, उन्हें (उपरोक्त बिंदु iii) के अलावा, यह स्पष्ट करना भी आवश्यक होगा कि “ऐसी दंडात्मक कार्रवाई के लिए उनको उत्तरदायी बनाने के लिए चुनाव चिन्ह आदेश के पैरा 10 ख में यथा अधिदेशित आगे की कार्रवाई, जिसे आयोग उचित समझे” क्यों नहीं की जानी चाहिए।