सीएमपीडीआई में नॉलेज मैनेजमेंट पर कार्यशाला, सीएमडी ने कही ये बात

झारखंड
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रांची। सीएमपीडीआई के कांफ्रेंस हॉल में नॉलेज मैनेजमेंट विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन संस्थान के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार ने किया। उद्घाटन सत्र में कुमार ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के युग में किसी भी कंपनी को अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए केवल इंडस्ट्रीयल इकोनॉमी ही नहीं, बल्कि उस कंपनी में कार्यरत विशेषज्ञों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले उनके ज्ञान व अनुभव और बौद्धिक सम्पदा को ‘ज्ञान सम्पति’ समझ कर संचित एवं अन्य कर्मियों के साथ साझा करना आवश्यक हो गया है।

सीएमडी ने कहा कि यदि ज्ञान साझा एवं संचयन सही तरीके से किया जाए तो किसी भी उद्योग में एक बार किए गए कार्यों और उसके कार्य पद्धतियों के री-जेनेरेशन (पुनर्सृजन) या रिक्रिएशन (पुर्नउत्पत्ति) में लगने वाले समय एवं प्रक्रिया से निजात पाते हुए समय का सदुपयोग बेहतर पद्धतियों की खोज कर गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। इससे उद्योग की उत्पादकता एवं सकल लाभ में वृद्धि देखने को मिलेगी।

कुमार ने कहा कि हमारे अनुभवी, दक्ष एवं विशेषज्ञ कर्मियों के ज्ञान, अनुभव और बौद्धिक गुणों को अन्य अधिकारियों संग साझा करना और उपयुक्त/यथोचित सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए उचित जगह पर संचित करने से हमारी भावी पीढ़ी को भविष्य में यह सुलभ तरीके से उपलब्ध होगा। एक बेंचमार्क साबित होगा।

सीएमपीडीआई के निदेशक (तकनीकी/आरडीएंडटी) आरएन झा ने कहा कि ज्ञान प्रबंधन आज के परिप्रेक्ष्य में एक प्रासंगिक विषय है। समय के साथ परिवर्तन एक शाश्वत प्रक्रिया है। इससे नए-नए विकल्प प्राप्त होते हैं। सर्वप्रथम ज्ञान अर्जित करना तत्पश्चात उसे संचित और प्रबंधन करना उद्देश्य होना चाहिए।

निदेशक (तकनीकी/सीआरडी/ईएस) एसके गोमास्ता ने कहा कि ज्ञान की खोज एक सतत प्रक्रिया है। दुनिया की बेहतर चीजों/विकल्पों को अपने दिनचर्या में अंगीकार करने की उत्साह होना चाहिए। नॉलेज डॉकुमेंटेशन के माध्यम से इस उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं।

इस कार्यशाला में मुख्यालय, रांची के अलावा सभी क्षेत्रीय संस्थान यथा आसनसोल, धनबाद, रांची, नागपुर, बिलासपुर, सिंगरौली तथा भुवनेश्वर से नॉलेज मैनेजमेंट लीडर्स भाग लिया।

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश निदेशक (तकनीकी/सीआरडी/ईएस) के तकनीकी सचिव पीके शरण ने किया। मौके पर उप प्रबंधक (सचिवीय) अशोक कुमार मिश्रा ने एक प्रस्तुति के माध्यम से कार्यशाला के उद्देश्य बताया। धन्यवाद उप प्रबंधक (एचआरडी) श्रीमती श्वेता सैनी ने किया।