फिट@50+ महिला ट्रांस हिमालयन अभियान में नया बेंचमार्क स्थापित

नई दिल्ली खेल देश
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  • 11 सदस्यीय टीम ने 140 दिनों में 35 पास, 4,841 किलोमीटर की दूरी तय की

नई दिल्ली। फिट@50+ महिला ट्रांस हिमालयन अभियान ने 140 दिन सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) द्वारा युवा मामले एवं खेल मंत्रालय और भारतीय सेना के सहयोग से फिट इंडिया बैनर के तहत यह आयोजित किया गया। केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने 2 अगस्त, 2022 को देश की राजधानी में स्थित प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में अभियान दल को सम्मानित किया।

खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, ‘50 साल में फिट रहना, अपने आप में एक बड़ा नारा है। अभियान न केवल देश में 50 साल के लोगों के लिए बल्कि भारत में सभी के लिए प्रेरणादायक रहा है। आप सभी ने जो किया है वह हर तरह से उल्लेखनीय है। यही नारी-शक्ति की सच्ची ताकत है।‘

50 और 60 साल की उम्र की महिलाओं की 11 सदस्यीय टीम ने 24 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाने के लिए कारगिल युद्ध स्मारक में अपनी यात्रा का समापन किया। स्मारक पर टीम ने 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि दी। यह अभियान भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाता है और केंद्र सरकार की ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पहल को समर्पित है।

फिट@50+ की इस टीम का नेतृत्व महान पर्वतारोही, पद्म श्री, पद्म भूषण सुश्री बछेंद्री पाल ने किया था, जो 1984 में एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। टीम में सेवानिवृत्त कॉर्पोरेट पेशेवर, सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी, गृहिणियां, सेवानिवृत्त लोकोमोटिव ड्राइवर, दादी और कामकाजी महिलाएं भी शामिल थीं। सबसे छोटी सदस्य 54 वर्ष की है, वहीं सबसे बड़ी सदस्य की आयु 68 वर्ष है।

 अभियान की लीडर और टीएसएएफ की मेंटर, सुश्री बछेंद्री पाल ने कहा, ‘यह एक प्रतिबद्धता थी। मैं 2019 में टीएसएएफ से सेवानिवृत्त हो रही थी, जिस वर्ष फिट इंडिया की शुरुआत हुई थी। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गए फिट इंडिया अभियान से प्रेरित थी। इसी समय मेरे दिमाग में 50 और 60 की उम्र में महिलाओं के लिए इस कार्यक्रम का विचार आया, जिस उम्र में आमतौर पर उन्हें कमजोर और अयोग्य माना जाता है। इसलिए, मैंने इसके बारे में सपना देखा और इस अभियान के 11 सदस्यों से संपर्क किया और फिर हमने सरकार और आर्मी एडवेंचर विंग से संपर्क किया और उन्होंने इस अभियान का समर्थन किया।‘

टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील के कॉर्पोरेट सर्विसेज के वाईस प्रेसिडेंट  चाणक्य चौधरी ने कहा, ‘सबसे पहले मैं कई चुनौतियों के बावजूद अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए टीम को बधाई देना चाहता हूं। मैं उनके साहस, शक्ति, दृढ़ संकल्प और अदम्य भावना से अभिभूत हूं। इस अभियान का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के बीच स्वास्थ्य और फिटनेस के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक उदाहरण स्थापित करना था कि फिट और स्वस्थ रहना और बढ़ती उम्र के बावजूद बड़े सपने देखना संभव है। मुझे उम्मीद है कि यह अभियान सभी आयु वर्ग की महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए अपने दैनिक जीवन में फिटनेस गतिविधियों को शामिल करने के लिए उत्साहित और प्रेरित करेगा। जहां तक टीएसएएफ का सवाल है, हम देश में साहसिक खेलों को बढ़ावा देना जारी रखेंगे और अपने अनूठे प्रस्ताव एवं निरंतर प्रयासों के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।‘

अभियान को दिल्ली में 8 मार्च, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर श्रीमती  सुजाता चतुर्वेदी, सचिव, खेल विभाग, युवा मामले और खेल मंत्रालय, भारत सरकार; चाणक्य चौधरी, चेयरमैन, टीएसएएफ और वाईस प्रेसिडेंट कॉर्पोरेट सर्विसेज, टाटा स्टील; और बछेंद्री पाल, अभियान की लीडर और टीएसएएफ की मेंटर द्वारा झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।

यह अभियान पंगसाऊ दर्रे (भारत-म्यांमार सीमा) से शुरू हुआ और द्रास सेक्टर, लद्दाख में कारगिल में समाप्त हुआ, जिसमें 4,841 किमी से अधिक की दूरी तय की गई और भारत और नेपाल में हिमालय के पूर्व से पश्चिम तक 140 दिनों में 35 ऊंचे पर्वतीय दर्रों को पार किया गया। पार किए गए दर्रे में 17,700 फीट की ऊंचाई पर सबसे कठिन लमखागा दर्रा शामिल है; सबसे चुनौतीपूर्ण और सबसे ऊंचा दर्रा, परंग ला दर्रा 18,300 फीट की ऊंचाई पर है; भाभा दर्रा 16,000 फीट और थोरंग ला दर्रा 17,800 फीट पर है। 50 से अधिक अतिथि ट्रेकर्स  जिसमें भारत के बाहर के 3-4 शामिल थे, विभिन्न स्थानों पर 7-10 दिनों की छोटी अवधि के लिए अभियान में शामिल हुए। इनमें लमखागा दर्रे को सफलतापूर्वक पार करने वाली एक 75 वर्षीय महिला भी शामिल है।

11 सदस्यीय टीम में बछेंद्री पाल, लीडर (67-जमशेदपुर-झारखंड), चेतना साहू (54-कोलकाता-पश्चिम बंगाल), सविता धापवाल (52-भिलाई-छत्तीसगढ़), गंगोत्री   सोनेजी (62-बड़ौदा-गुजरात), एल. अन्नपूर्णा (53-जमशेदपुर-झारखंड), पायो मुर्मू (53-जमशेदपुर-झारखंड), डॉ सुषमा बिसा (55-बीकानेर-राजस्थान), मेजर कृष्णा दुबे (59-लखनऊ-यूपी), बिमला देवस्कर (55- नागपुर- महाराष्ट्र) और वसुमथि  श्रीनिवासन (68-बैंगलोर-कर्नाटक), और शामला पद्मनाभन (64-मैसूर-कर्नाटक) शामिल हैं। सपोर्ट टीम में उत्तराखंड के मोहन रावत (41) और रणदेव सिंह (30) शामिल हैं।