बीएयू के सहयोग से चार राज्‍यों में तसर क्षेत्र में संचालित सीआरपी की क्षमता का मूल्यांकन

झारखंड
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  • झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ में हो रहा काम

रांची। पूर्वी राज्यों में तसर क्षेत्र में व्यापक संभावना एवं तसर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीटीआर एंड टीआई), रांची को विस्तार प्रणाली में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सहयोग प्रदान कर रहा है। बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के निर्देश पर बीएयू वैज्ञानिकों ने विभिन्न तसर विकास परियोजनाओं के अधीन पोषित और सीएसबी/प्रदान द्वारा संचालित सामुदायिक संसाधित कर्मियों (सीआरपी) की मान्यता और ग्रेडिंग कार्य के लिए प्रत्यायन कार्यक्रम में भाग लिया।

इसके तहत बीएयू, सीटीआर एंड टीआई एवं टीडीएफ/प्रदान, रांची के वैज्ञानिक और पदाधिकारियों के संयुक्त दल ने झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ राज्यों में तसर क्षेत्र में संचालित सीआरपी की क्षमता का मूल्यांकन किया। इस माह में संयुक्त दल ने झारखंड के बीएसपीयू कुंडियामार्चा ग्राम कुचाई जिला सरायकेला-खरसावां, पश्चिम बंगाल के ग्राम चाचनगोड़ा प्रखंड रानीबंध जिला बांकुरा, ओडिशा के बीएसपीयू खजूरीमुंडी प्रखंड बंसपाल जिला क्योंझर और छत्तीसगढ़ के ग्राम चावड़ी प्रखंड चारमा जिला कांकेर एवं बीएसपीयू खुखर प्रखंड राजपुर जिला बलरामपुर का दौरा किया।

भ्रमण के दौरान दल ने सीटीआर एंड टीआई एवं टीडीएफ/प्रदान द्वारा तसर क्षेत्र में तकनीकी, प्रबंधकीय और सामुदायिक निर्माण क्षेत्रों में कार्यरत परियोजनाओं अधीन विकसित सामुदायिक संसाधन कर्मियों (सीआरपी) की क्षमता का विस्तृत मूल्यांकन किया। इस मूल्यांकन में चारों राज्यों में सीआरपी से जुड़े व्यक्तियों ने प्रत्यायन कार्यक्रम और ग्रेडिंग प्रक्रिया में बड़ी संख्या में भाग लिया। संयुक्त दल ने लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू के माध्यम से सीआरपी सदस्यों के तसर क्षेत्र में कार्यो की गुणवत्ता, अनुभवों एवं उपलब्धियों का आकलन किया।

इस अभियान में संयुक्त दल ने 206 सीआरपी का मूल्यांकन किया। इनमें करीब 80 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति किसान थे। करीब 50 प्रतिशत महिला सदस्यो की संख्या थी। सीआरपी के मूल्यांकन के दौरान राज्य के रेशम उत्पादन अधिकारी और स्थानीय अधिकारी भी उपस्थित थे। संयुक्त दल में बीएयू वैज्ञानिक डॉ सूर्य कुमार एवं डॉ संजय कुमार साथी, सीटीआर एंड टीआई रांची के वैज्ञानिक डॉ जेपी पांडे एवं डॉ विशाल मित्तल तथा टीडीएफ/प्रदान के पदाधिकारी राजेंद्र खंडाई शामिल थे।