3,000 आंगनवाड़ी केंद्रों में बनने लगा पौष्टिक भोजन
हेमंत वर्मा
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)। सुपोषण तब आएगा, जब ताजा-पौष्टिक भोजन मिलेगा। इसीलिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत जिले के सभी विकासखंडों एवं दूरस्थ सेक्टरों में 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की किशोरी, बालिका और महिलाओं के लिए पौष्टिक गर्म भोजन का शुभारंभ किया गया है। यह कार्य जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुपोषण पर विशेष ध्यान देते हुए किया जा रहा है, ताकि जिले को कुपोषण मुक्त किया जा सके।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत पौष्टिक गर्म भोजन कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर गंभीर कुपोषण से बाहर आने वाले बच्चों के पालक, एनीमिया से मुक्त होने वाली महिला एवं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की तीनों किस्तों से लाभान्वित हितग्राहियों को आमंत्रित कर अतिथियों द्वारा उपहार प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों और सुपोषण योजना के अंतर्गत चिन्हित लाभार्थियों को पोषण रक्षा सूत्र बांधकर उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना की गई। इस अवसर पर अतिथि एवं अधिकारियों ने ही किशोरी और महिलाओं को पौष्टिक गर्म भोजन की थाली परोसी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं द्वारा रेडी टू ईट से निर्मित व्यंजन, छत्तीसगढ़ी व्यंजन तथा स्थानीय भाजियों की प्रदर्शनी लगाई गई। अतिथियों ने कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त समाज के निर्माण पर बल दिया। स्वास्थ्य व पोषण के महत्व को बताया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथिलेश चौधरी ने बताया कि कलेक्टर डोमन सिंह के मार्गदर्शन में सुपोषण अभियान को सार्थक बनाने के लिए जिले में संचालित 3,010 आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से चिन्हांकित लगभग 5,000 किशोरी और महिलाओं में व्याप्त एनीमिया को दूर करने के लिए पौष्टिक गर्म भोजन प्रदान किया जा रहा है। साथ ही आंगवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन के माध्यम से लाभार्थियों को स्वास्थ्य एवं पोषण एवं एनीमिया के कारण, लक्षण व उपचार के संबंध में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। सुपोषण के विषय में जागरुकता लाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी की जा रही है तथा स्पर्धा के विजेताओं को पुरस्कृत किया जा रहा है, ताकि सुपोषण के विषय में जागरुकता का अधिक से अधिक संचार किया जा सके।
महिला एवं बाल विकास की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया कि सुपोषण के लिए जिले में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कुपोषण को पौष्टिक भोजन, दवाइयां और व्यवहार में परिवर्तन से ही दूर किया जा सकता है। बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए सबसे पहले माताओं का स्वस्थ रहना जरूरी है, इसलिए विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं तथा शिशुवती माताओं को विभिन्न माध्यमों से पौष्टिक आहार के विषय में जागरुक किया जा रहा है। पोषण आहार के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में विभिन्न पौष्टिक आहार परोसे जा रहे हैं।