रांची। अभी-अभी बड़ी खबर आ रही है कि मनरेगा घोटाले मामले में निलंबित आइएएस पूजा सिंघल की जमानत याचिका ईडी के विशेष न्यायाधीश के कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बुधवार को कोर्ट ने मामले में ईडी और प्राथी के अधिवक्ता का पक्ष सुना। प्रार्थी की ओर से कहा गया कि वह निर्दोष हैं। ईडी ने जो रुपये बरामद किये हैं वे उनके नहीं हैं। पल्स अस्पताल के निर्माण में किसी प्रकार की अवैध राशि का इस्तेमाल नहीं हुआ।
वहीं ईडी की ओर से आतिश कुमार ने कहा कि अवैध माइनिंग के जरिए गलत तरीके से इन्होंने राशि अर्जित की है। इनके कई बैंक में अकाउंट हैं। इनके द्वारा अवैध तरीके से कमाए गए रुपयों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में किया गया है। कई माइनिंग अधिकारियों के द्वारा भी इनको पैसे दिये जाने की बात सामने आयी है। इसलिए इन्हें जमानत न दी जाये।
यहां बता दें कि पूर्व में पूजा सिंघल समेत सात के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। जिनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, उनमें पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा, सीए सुमन सिंह, खूंटी जिला परिषद के तत्कालीन कनीय अभियंता राम विनोद सिन्हा, तत्कालीन सहायक अभियंता राजेंद्र जैन, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता जय किशोर चौधरी, खूंटी विशेष प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता शशि प्रकाश शामिल हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने 200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है। आरोप पत्र में बताया गया है कि चतरा, खूंटी और पलामू डीसी रहते हुए पूजा सिंघल के खाते में सैलरी से 1.43 करोड़ अधिक थे।
ईडी ने इन तीनों जिलों में उनके डीसी के कार्यकाल के दौरान के अलग- अलग बैंक खातों व दूसरे निवेश की जानकारी जुटायी। खूंटी में मनरेगा का घोटाला फरवरी 2009 से जुलाई 2010 के बीच हुआ। उस समय पूजा सिंघल वहां की डीसी थीं।
यहां यह भी बता दें कि ईडी ने 6 मई को तत्कालीन खान सचिव पूजा सिंघल के सरकारी और निजी आवास उनके पति अभिषेक झा और उनके सीए सुमन सिंह समेत 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी। सीए सुमन सिंह के आवास से ईडी को 19.31 करोड़ रुपए नगद बरामद हुए थे। 11 मई को ईडी ने पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था और 25 मई से वह सलाखों के पीछे हैं।