रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक शनिवार को सीनेट हॉल में हुई। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और परिषद के ब्रॉड सब्जेक्ट मैटर एरिया कमेटी द्वारा अनुमोदित ‘स्नातकोत्तर शिक्षण कार्यक्रमों के पुनर्गठित और पुनरीक्षित पाठ्यक्रमों’ के कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श और अनुशंसा देने पर बात हुई।
बैठक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के आलोक में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की जरूरतों के मद्देनजर विभिन्न मास्टर और पीएचडी पाठ्यक्रमों में आवश्यक संशोधन-परिवर्धन करते हुए उन्हें अद्यतन किया गया। नए पाठ्यक्रमों का फोकस अच्छे, विचारवान, सर्वगुण संपन्न और रचनात्मक मानव संसाधन तैयार करना है।
परिवर्धित पाठ्यक्रमों में व्यक्तित्व और उद्यमिता विकास, वैज्ञानिक जिज्ञासा, साइंटिफिक टेंपर और क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने के पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में प्रौद्योगिकीय विकास के मद्देनजर कृषि के छात्रों के लिए बेहतर रोजगार का परिदृश्य बने, इससे संबंधित सुधार भी पाठ्यक्रमों में किए गए हैं।

कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि संबंधी शोध संस्थानों में शिक्षण, अनुसंधान के लिए आपसी तालमेल और आदान-प्रदान बढ़े यथा एतदर्थ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हो, इससे संबंधित प्रावधान भी नए पाठ्यक्रमों में रखे गए हैं।
स्नातकोत्तर संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमके गुप्ता ने बताया कि कृषि संकाय के 13, पशु चिकित्सा संकाय के 15 और वानिकी संकाय के 3 विभागों के विभागाध्यक्षों ने संशोधित पाठ्यक्रम का प्रारूप प्रस्तुत किया। इस पर देश के विभिन्न भागों से ऑफलाइन एवं ऑनलाइन जुड़े 62 विषय विशेषज्ञों ने अपना मंतव्य दिया। संशोधन संबंधी उनके सुझावों को अनुमोदन के लिए एकेडमिक काउंसिल की अगली बैठक में रखा जाएगा।
कृषि अधिष्ठाता डॉ एसके पाल, वानिकी संकाय के डीन डॉ एमएस मलिक, पशुचिकित्सा संकाय के अधिष्ठाता डॉ सुशील प्रसाद ने अपने संकाय के विभिन्न पाठ्यक्रमों की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उप कुलसचिव डॉ शैलेश चट्टोपाध्याय ने धन्यवाद किया।