आतंक का दूसरा नाम सम्राट गिरोह का सरगना जयनाथ साहू ने रांची की इस अदालत में किया आत्मसमर्पण

झारखंड
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रांची। पुलिस की दबिश से अंदर ही अंदर टूट चुका झारखंड में दो दशक तक आतंक का पर्याय रहे सम्राट गिरोह का सरगना जयनाथ साहू ने सरेंडर कर दिया। अब रांची पुलिस जयनाथ साहू को रिमांड पर लेगी। एसएसपी किशोर कौशल ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि जयनाथ साहू को रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। एसएसपी ने बताया कि जयनाथ की 7 दिन की रिमांड मांगी गयी है। कोर्ट से रिमांड मिलने के बाद उससे पूछताछ की जायेगी।

जयनाथ साहू ने रांची सिविल कोर्ट में जज कमलेश बेहरा की अदालत में सरेंडर किया। पिछले दो दशकों तक वह रांची, खूंटी, गुमला और सिमडेगा में आतंक का पर्याय रहा था। इस गिरोह के खिलाफ चार जिलों में व्यवसायियों की हत्या और अपहरण के कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह मूल रूप से रांची जिला के लापुंग का रहने वाला है।

झारखंड गठन के दिनों में खूंटी जिला में सम्राट गिरोह की तूती बोलती थी। इस गिरोह के खिलाफ दिनेश गोप ने झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) का गठन किया। वर्ष 2000 में बना जेएलटी ही बाद में पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) बन गया।

बताया जाता है कि उन दिनों दिनेश गोप का परिवार गांव की ऊंची जाति के लोगों के निशाने पर था। उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया। कर्रा और लापुंग में उन दिनों सम्राट गिरोह सक्रिय था।

सम्राट गिरोह के हथियारबंद गुर्गों के शोषण से तंग आ चुके स्थानीय लोगों ने दिनेश गोप का समर्थन किया और वर्ष 2001 के आसपास औपचारिक रूप से झारखंड लिबरेशन टाइगर के रूप में सम्राट गिरोह के खिलाफ एक नया दस्ता खड़ा हुआ। दोनों समूहों में कई बार खूनी भिड़ंत हुई। जयनाथ साहू के कई साथी मारे गये। उसका गिरोह कमजोर होता गया और दिनेश गोप के गिरोह जेएलटी का उदय हुआ। बाद में इसी गिरोह ने उग्रवादी संगठन पीएलएफआई का रूप लिया, जिसने झारखंड पुलिस की नाक में दम कर दिया।

सम्राट गिरोह के कमजोर पड़ने के बाद खूंटी, गुमला और सिमडेगा में पीएलएफआई का आतंक बढ़ने लगा। इस संगठन ने रांची के तुपुदाना, बेड़ो और लापुंग में भी वर्चस्व कायम कर लिया। जुलाई 2014 में पीएलएफआई ने लगातार कई वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती और तत्कालीन डीजीपी राजीव कुमार ने पीएलएफआई के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया। इसमें सीआरपीएफ और हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गयी। हालांकि, तब तक पीएलएफआई के उग्रवादी और उसका सरगना दिनेश गोप दोनों ओड़िशा और छत्तीसगढ़ भाग चुके थे।

रांची जिला के लापुंग के रहने वाले जयनाथ साहू का ऐसा आतंक था कि सम्राट गिरोह को रंगदारी दिये बगैर कोई भी व्यवसायी रांची, खूंटी, सिमडेगा और गुमला जिला के ग्रामीण इलाकों में कारोबार नहीं कर सकता था। सम्राट गिरोह के गुर्गों के पास कई आधुनिक हथियार थे। गिरोह के लोग वारदात को अंजाम देने के बाद ऐसे जंगली और पहाड़ी गांवों में पनाह लेते थे, जहां तक जाने के लिए सड़कें भी नहीं थीं।