जमशेदपुर की घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंदी की हत्या के मामले में 15 दोषियों को मिली सजा-ए-मौत

झारखंड
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जमशेदपुर। तीन साल बाद गुनाहगारों को मिली सजा-ए-मौत। परिजनों ने ईश्वर का किया शुक्रिया। जी हां! हम बात कर रहे हैं बंदी मनोज सिंह की हत्याकांड की।

पूर्वी सिंहभूम जिले की घाघीडीह सेंट्रल जेल में 25 जून 2019 को हुई सजयाफ्ता बंदी मनोज सिंह की हत्या में बुधवार को अपर जिला सत्र न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद सिन्हा के न्यायालय ने 15 दोषियों को फांसी और बाकी सात दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई। सभी दोषी कैदी घाघीडीह जेल में बंद हैं।

जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, उसमें वासुदेव महतो, अरूप कुमार बोस, अजय मल्लाह, गोपाल तिरिया, श्यामू जोजो, शिव शंकर पासवान, गंगा खंडैत, जानी अंसारी, पंचानंद पात्रो, पिंकू पूर्ति, संजय दिग्घी, शरद गोप, राम राय सुरीन आदि शामिल हैं।

मृतक मनोज सिंह टेल्को मनीफिट का रहने वाला था। गैंगस्टर अखिलेश सिंह गिरोह के हरीश सिंह का सहयोगी था। जेल में ही उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी।

घाघीडीह जेल में 25 जून 2019 को टेलीफोन बूथ पर बात करने को लेकर अखिलेश सिंह गिरोह के हरीश सिंह और सजायाफ्ता कैदी पंकज दुबे के बीच विवाद हुआ था। इसमें हरीश सिंह गिरोह के सदस्य सुमित सिंह, मनोज कुमार सिंह, अविनाश श्रीवास्तव सहित अन्य लोग थे। उन्होंने पंकज दुबे की पिटाई कर दी थी। इस हमले के विरोध में सजायाफ्ता कैदियों ने हंगामा करते हुए हरीश सिंह गुट पर हमला कर दिया था।

हमले के दौरान मनोज सिंह भागकर जेल के आरुणि कक्ष के ऊपरी तल्ले में छिप गया था। इसके बाद 15 सजायाफ्ता कैदियों ने अंदर घुस कर मनोज सिंह की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

मनोज सिंह को जेल से साकची के एमजीएम अस्पताल लाया गया था, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था। जेल प्रशासन की शिकायत पर परसुडीह में हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।