शिक्षकों के लिए बाल अधिकार पर हुई कार्यशाला, विशेषज्ञों ने दिए टिप्‍स

झारखंड
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  • रांची जिले के 6 प्रखंडों के 73 से अधिक शिक्षकों ने लिया हिस्‍सा

रांची। यूनिसेफ ने नवभारत जागृति केंद्र (एनबीजेके) के सहयोग से रांची के 6 प्रखंडों के शिक्षकों के लिए बाल अधिकार पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला चाइल्ड रिपोर्टर कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई थी, जो रांची जिले के रांची, नामकुम, इटकी, नगरी, अंगड़ा और ओरमांझी और गिरिडीह एवं पश्चिमी सिंहभूम जिले के 3 प्रखंडों में चलाई जा रही है। कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को बाल अधिकारों और कोविड-19 के बाद बच्चों के सामने आ रही चुनौती एवं समस्याओं पर उनका उन्मुखीकरण करना था। कार्यशाला में रांची जिले के 6 प्रखंडों के 73 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में यूनिसेफ झारखंड की कम्यूनिकेशन ऑफिसर आस्था अलंग, यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव, इटकी प्रखंड की बीईईओ अनुराधा रानी और इटकी, कांके एवं रातू ब्लॉक के प्रखंड कार्यक्रम अधिकारियों (बीपीओ) ने भी भाग लिया।

आस्था अलंग ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता (यूएनसीआरसी) के तहत बच्चों को कुछ बुनियादी अधिकार दिए गए हैं, जो कि बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और उनके सर्वांगीण विकास से संबंधित हैं। बच्चों के जीवन को आकार देने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। स्कूलों में सही वातावरण और देखभाल प्रदान करके शिक्षक बच्चों के लिए एक बेहतर वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। शिक्षक की भूमिका न केवल शैक्षणिक संस्थानों के परिसर के भीतर होती है, बल्कि उसके बाहर भी वे बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने में अहम रोल अदा करते हैं।

एक व्यक्ति के जीवन में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छा शिक्षक युवा छात्रों के दिलो-दिमाग में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। माता-पिता के बाद, शिक्षक ही बच्चे को सबसे अधिक प्रभावित करता है। उसके व्यक्तित्व को आकार देने में योगदान देता है। इसलिए प्रत्येक शिक्षक को बाल अधिकारों के साथ-साथ समाज में व्याप्त प्रचलित सामाजिक बुराइयों से अवगत होना अनिवार्य है, जो बच्चों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा बच्चों से संबंधित कानूनी प्रावधान के बारे में भी शिक्षकों का अवगत होना जरूरी है, जो कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं।’

सुश्री प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि हालांकि राज्य में बाल विवाह दर में गिरावट आई है, लेकिन हमें अभी भी इस मुद्दे पर और अधिक काम करने की आवश्यकता है। बच्चों की भलाई और उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है। बाल विवाह शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण का कारण भी बनता है। शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे माता-पिता को बाल विवाह के परिणामों और बाल विवाह को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों के बारे में जानकारी देकर अपनी भूमिका निभाएं। हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि समाज से बाल विवाह को खत्म किया जा सके।

अनुराधा रानी ने कहा कि कार्यक्रम से शिक्षकों को मुद्दों को समझने और स्कूल में बच्चों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने और कुशलतापूर्वक काम करने में मदद मिलेगी। मैं भविष्य में भी इस तरह की पहलों और शिक्षकों के साथ सहयोग की आशा करती हूं। एनबीजे की प्रोग्राम मैनेजर सुष्मिता भट्टाचार्जी ने भी बातें रखीं। इस अवसर पर शिक्षकों ने भी अपने विचार साझा किए।

इटकी प्रखंड के बारीडीह स्थित माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय बहादुर सिंह ने कहा कि चाइल्ड रिपोर्टर कार्यक्रम बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इस कार्यक्रम से जुड़ने के बाद बच्चों में काफी आत्मविश्वास पैदा हुआ है। साथ ही उनके अंदर अभिव्यक्ति क्षमता का भी विकास हुआ है। चाइल्ड रिपोर्टर अपने अधिकारों के लिए मुखर हैं और वे न केवल अपने परिवार में बल्कि समाज में भी अच्छी प्रथाओं और व्यवहार को अपनाने के लिए बदलाव ला रहे हैं।