मध्य प्रदेश। समय का पहिया घूमते रहता है। यह बात रानी अग्रवाल पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। मध्य प्रदेश के 16 में से 11 नगर निगमों के चुनाव के नतीजे सामने आए हैं, लेकिन सबसे चौंकाने वाला परिणाम सिंगरौली जिले से आया है, जहां आम आदमी पार्टी की मेयर प्रत्याशी रानी अग्रवाल ने बीजेपी के चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को 9,352 मतों से हराया है।
रानी अग्रवाल 2018 में AAP के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उस समय वो काफी कम वोटों के अंतर से हार गई थीं। रानी अग्रवाल मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली हैं। उनका लकड़ी का बड़ा कारोबार है, लेकिन काफी समय से समाज सेवा और राजनीति से जुड़ी रही हैं। उनका सियासी सफर सरपंच से शुरू हुआ था, जो जिला पंचायत सदस्य के रास्ते सिंगरौली मेयर की सीट तक पहुंच चुका है। रानी अग्रवाल के ससुर रामनिवास अग्रवाल भी सिंगरौली जिले के देवसर जनपद पंचायत के अध्यक्ष चुके हैं।
रानी अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी रही हैं। उन्होंने 2014 में बरगवां क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी किस्मत आजमाई थीं और चुनाव भी भारी मतों के अंतर से जीत लिया था, लेकिन जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव में किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। दोनों प्रत्याशियों को बराबर वोट मिलने के बाद ट्राई में हार का सामना करना पड़ा था।
इस हार के बावजूद रानी अग्रवाल लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहीं। वह विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी से इस्तीफा देकर 2018 में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं। उसके बाद 2018 में आप के चुनाव चिन्ह पर सिंगरौली विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के बावजूद वो कुछ वोटों से चुनाव हार गईं।
हार के बाद भी रानी अग्रवाल अपने क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहीं और इसी का नतीजा है कि सिंगरौली नगर निगम की सीट बीजेपी से छीनकर अपने नाम पर कर ली है।