गुमला। खबर दुखद है। तीन वर्ष पूर्व आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ में आत्महत्या करने वाले किसान शिवनाथ उरांव की पत्नी समेत तीन लोगों की महज छह दिनों में बारी-बारी से असमय मौत से गांव में दहशत का माहौल है। घटना गुमला जिला अंतर्गत सिसई ब्लॉक स्थित नगर पंचायत के गोखुलपुर पतराटोली गांव की है।
जानकारी के अनुसार, गुरुवार को परिवार की एक बेटी अमृता कुमारी (13 वर्ष), शनिवार को मां तेतरी देवी (40 वर्ष) और सोमवार को दूसरी बेटी शांति कुमारी (8 वर्ष) की अचानक मौत हो गयी। मौत से पूर्व सभी ने बुखार, पेट दर्द और बदन दर्द की शिकायत की थी।
इस संबंध में पीड़ित परिवार के दामाद कृष्णा उरांव एवं रिश्तेदार विश्वनाथ उरांव ने बताया कि सोमवार को शिवनाथ की बेटी अमृता कुमारी एवं मां तेतरी को बुखार और पेट दर्द होने पर गांव में ही डॉक्टर से इलाज कराया था।
खून जांच में अमृता को टाइफाइड निकलने पर तीन दिनों तक इंजेक्शन दिया गया था। गुरुवार को अचानक तबीयत अधिक खराब होने पर एंबुलेंस बुलायी गयी, लेकिन, तब तक अमृता की मौत हो चुकी थी।
शुक्रवार को उसका अंतिम संस्कार के बाद शनिवार को मृतक की मां तेतरी देवी की भी तबीयत बिगड़ी। उसे सिसई रेफरल अस्पताल लाया गया। इलाज के बाद उसे घर वापस ले जाया गया। शनिवार को अचानक उसकी तबीयत फिर खराब हुई और अचानक उसकी मौत हो गयी।
इसी दौरान परिवार की एक बच्ची शांति कुमारी ने भी बुखार और पेट दर्द की शिकायत की। अंतिम संस्कार में पहुंचे रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने आनन- फानन में शांति को सिसई के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान ही सोमवार सुबह उसकी भी मृत्यु हो गयी।
इसके बाद परिजनों ने उसके जीवित होने की आस में उसे सोमवार की सुबह रेफरल अस्पताल लाया, जहां चिकित्सकों ने शांति के मृत होने की जानकारी दी और एंबुलेंस से ही शव को गांव भेज दिया गया।
यहां बता दें कि तीन वर्ष पूर्व फरवरी 2019 में पीड़ित परिवार के मुखिया शिवनाथ उरांव ने आर्थिक तंगी और कर्ज में डूबकर पत्नी के अलावा पांच बेटी एवं एक बेटा को छोड़कर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
शिवनाथ उरांव के आत्महत्या करने पर तत्कालीन सिसई विधायक सह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव, पूर्व शिक्षा मंत्री सह मांडर विधायक बंधु तिर्की, पूर्व विधायक सह शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव सहित कई लोग गांव आकर पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता, राशन कार्ड, आवास, पेंशन सहित अन्य सरकारी मदद दी थी।
घटना को लेकर गांव के कुछ लोग जादू टोना, भूत प्रेत व अंधविश्वास से जोड़कर देख रहे हैं, तो वहीं कुछ ग्रामीण महामारी, दूषित जल पीने व चिकित्सा सुविधा की कमी को लेकर जोड़कर देख रहे हैं। अनाथ हुए बच्चों के भविष्य को लेकर ग्रामीणों ने चिंता जतायी है।
ग्रामीणों ने कहा है कि गांव में एक मात्र चापाकल था, जो तीन साल से अधिक समय से खराब पड़ा हुआ है। गांव में 15 परिवार में आबादी 80 के करीब है जो महज एकमात्र जर्जर कुआं का पानी पीने को मजबूर हैं। गहराई कम होने से गर्मी के शुरुआती दिनों में ही कुआं का पानी सूख जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल संकट व गांव तक पहुंच पथ की भारी समस्या है।