रांची। झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मियों का चरणबद्ध आंदोलन 17 जनवरी से शुरू हुआ। इसके तहत एमपीडब्ल्यू कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं। कर्मी 24 जनवरी को सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे।
संघ के अध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि एमपीडब्ल्यू की बहाली 2008 में हुई थी। लगभग 13 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक उनका समायोजन विभाग में नहीं किया गया है। बीते 6 वर्ष के दौरान मानदेय में एक रुपए तक की वृद्धि नहीं की गई है, जबकि एमपीडब्ल्यू अपने मूल कार्य के अलावा इस कोरोना काल में फ्रंट वर्कर के रूप में काम कर रहे है। यह विभाग एवं राज्य सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।
संघ ने कहा कि जब तक एमपीडब्ल्यू की सभी मांगें मानी नहीं जाती है, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। मांगें पूरी नहीं होने पर हड़ताल पर जा सकते हैं।
आज राज्य के सभी जिलों में सभी एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्य कर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर विरोध दर्ज किया। संघ के आंदोलन को झारखंड अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का भी समर्थन प्राप्त है। इसकी घोषणा महामंत्री सुनील कुमार साह ने की है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में अनुबंध कर्मियों का शोषण हो रहा है।
एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ की मुख्य मांगें
1. राज्य के सभी एमपीडब्ल्यू को आरसीएच की तर्ज पर अति शीघ्र विभाग में समायोजन किया जाए।
2. विभाग में समायोजन होने तक वेतन में वृद्धि की जाए। इस पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त है।
3. प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार पर एसडीओ खूंटी द्वारा किये गये अभद्र व्यवहार के लिए उनपर नियम संगत कानूनी कार्रवाई की जाए।
4. कोरोना का कार्य कर रहे सभी एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्य कर्मियों का 50 लाख रुपए का जीवन बीमा किया जाए।
5. कोरोना का कार्य कर रहे सभी एमपीडब्ल्यू को 2020 की तरह एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाए।
6. कोरोना कार्य में लगे सभी एमपीडब्ल्यू को डीए/टीए की व्यवस्था की जाए।
आगे का कार्यक्रम
19 और 20 जनवरी को सभी कर्मी अपने-अपने शरीर पर मांग पत्र की तख्ती लगाकर काम करेंगे।
21 जनवरी को अपने-अपने जिलों में भूख हड़ताल में रहते हुए कार्यों का संपादन करेंगे।
22 जनवरी को कर्मी अपने-अपने जिलों में सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपेंगे।
24 जनवरी को 1 दिवसीय सांकेतिक हड़ताल पर राज्य के सभी कर्मी रहेंगे।