महज चार घंटे बंद रही गेवरा खदान और खनन प्रभावित गांवों में पहुंच गया पानी

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  • बोर खनन के लिए होगा कल सर्वे

कोरबा। एसईसीएल की गेवरा खदान महज चार घंटे बंद रही। इस दौरान खनन प्रभावित बरभांठा और पंडरीपानी गांव में पानी पहुंच गया। यहां के ग्रामीणों ने तत्काल टैंकरों से पीने का पानी देने, नया बोरखनन करने और गांव के मुख्य तालाब का गहरीकरण कर उसमें पानी भरने की मांग करते हुए 10 मई को करीब चार घंटे गेवरा खदान में उत्पादन ठप कर दिया। इस आंदोलन की चेतावनी किसान सभा ने एक सप्ताह पूर्व ही प्रबंधन को दे दी थी। इसके बावजूद एसईसीएल प्रबंधन पेयजल समस्या के निराकरण करने के प्रति उदासीन रहा।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों ग्रामीण गेवरा खदान में घुस गए। जल संकट का निराकरण करने की मांग को लेकर उत्पादन ठप कर दिया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी भी आंदोलनकारियों को खदान में घुसने से नहीं रोक पाई। इससे एसईसीएल को करोड़ों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा। इस आंदोलन से कोल सेक्शन का कार्य भी प्रभावित हुआ है।

खदान से आंदोलनकारी ग्रामीणों के नहीं हटने की स्थिति में एसईसीएल प्रबंधन ने तुरंत बरभांठा और पंडरीपानी में पानी का टैंकर पहुंचाया। ग्रामीणों से वार्ता की। प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि प्रतिदिन दोनों गांवों में टैंकरों के माध्यम से जल की आपूर्ति की जाएगी। गांव में पानी की समस्या के स्थाई हल के लिए नया बोर खनन और तालाब का गहरीकरण के लिए 11 मई को एसईसीएल के अधिकारी गांव का सर्वे करेंगे। यह भी आश्वासन दिया गया है कि इन गांवों में प्रत्येक दस घरों के बीच एक सिंटेक्स टैंक लगाया जाएगा, जिससे ग्रामीणों को 24 घंटे पानी मिलना संभव होगा।

किसान सभा के नेता प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, दामोदर, जगदीश कंवर, रामायण कंवर, सरिता कंवर, सविता, दिलहरण बिंझवार, पुरषोत्तम, रघु, सत्रुहन, लखपत, रेशम और राधेश्याम के साथ जगदीश कंवर, विश्वास सिंह, महेश, दुर्गा पाटले, सुशील आदि ग्रामीण खदान बंद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।