सीएमओएआई ने कहा : अफसरों को मिले महारत्‍न स्‍केल, कामगारों का 10 साल का हो वेतन समझौता

झारखंड
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रांची। कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमओएआई) ने कहा कि कोल इंडिया में महारत्‍न कंपनी का पे स्‍केल लागू नहीं होने से वेतन विसंगति बढ़ रही है। कामगारों का वेतन अधिकारियों से अधिक हो गया है। यह फासला बढ़ता जा रहा है। अफसरों को कोलफील्‍ड एकाउंस सहित कई अन्‍य सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। इसका प्रतिकूल प्रभाव उनकी कार्यक्षमता पर पड़ रहा है। उक्‍त बातें एसोसिएशन के एपेक्‍स बॉडी के अध्‍यक्ष सौरभ दुबे ने 6 मई को रांची में प्रेस से कही।

अध्‍यक्ष ने कहा कि वेतन के मामले में सरकार के दिशा-निर्देश का उल्‍लंघन हो रहा है। निर्देश है कि कामगारों का वेतन अफसरों के लोअर ग्रेड से अधिक नहीं होना चाहिए। वर्तमान में कामगारों का वेतन ई-4 ग्रेड के अफसरों के करीब पहुंच गया है। कोल इंडिया में अफसरों का 10 साल का वेतन समझौता और कामगारों का हर 5 साल में होता है। इससे विसंगति और बढ़ रही है। उन्‍होंने कहा कि अफसरों को महारत्‍न कंपनी का पे स्‍केल देने और कामगारों का 10 साल का वेतन समझौता होने से वेतन विसंगति काफी हद तक रूक जाएगी।

एपेक्‍स के सेक्रेट्री जनरल यू दास ने कहा कि अधिकारि‍यों का कोलफील्‍ड एलाउंस वर्ष, 2017 से बंद कर दिया गया है। वे दूर-दराज के इलाकों में जोखिम भरे वातावरण में काम करते हैं। ऐसे में यह बंद करना उचित नहीं है। इन इलाकों में पदस्‍थापित सीआईएसएफ जवानों का यह दिया जाता है। अधिकारियों को भी नियमित देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि अनुकंपा पर भेदभाव हो रहा है। इस मामले में कई सहायक कंपनियां कॉमन कोल कैडर का पालन नहीं कर रही है।

सेक्रेट्री जनरल ने कहा कि सीएमपीएफओ के कार्यों में पारदर्शिता नहीं होने से अफसरों को परेशानी हो रही है। इसमें कुछ भी ऑनलाइन नहीं है। अफसरों का वेतन कटकर वहां जमा होता है। इसका हिसाब नहीं दिया जाता है। संगठन ने आयुक्‍त से मिलकर इसे ऑनलाइन करने और हर छह माह में स्‍टेटमेंट देने की मांग रखी है। रिटायमेंट के दिन ही जमा राशि अफसरों को देने की मांग की है।