बीएयू : फिशरीज साइंस कॉलेज के विद्यार्थियों को मिली फील्ड कम एक्सपोजर विजिट ट्रेनिंग

झारखंड
Spread the love

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के संचालित कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस, गुमला के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने स्टूडेंट रेडी प्रोग्राम के तहत 10 दिवसीय फील्ड कम एक्सपोजर विजिट ट्रेनिंग की। कॉलेज के दूसरे बैच (वर्ष 2018-22) के अंतिम वर्ष के 25 विद्यार्थियों के दल ने भाकृअनुप-केंद्रीय खारा जल-जीव पालन अनुसंधान संस्थान (चेन्नई) की काकद्वीप ईकाई में अपनी ट्रेनिंग पूरी की।

छात्र दल से जुड़े कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ स्टान जिंगावा ने बताया कि इस केंद्रीय संस्थान के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ देवासिस डे और पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ प्रेम कुमार ने स्टूडेंट के फील्ड कम एक्सपोजर विजिट ट्रेनिंग कार्यक्रम का संचलन किया। डॉ प्रेम एवं बबीता मंडल ने खारा जलीय कृषि तकनीक के अंतर्गत विभिन्न खारा जल की मछलियां, मछलियों का प्रजनन और उनके प्रजनन की एंडो क्रिनोलॉजी की जानकारी दी।

डॉ टीके घोसला एवं डॉ देवाशिस डे ने जलीय मछली पोषण, आहार रणनीति, आवश्यक फीड सामग्री एवं लाभ-लागत के अनुमानित विश्लेषण के बारे मे बताया। डॉ संजय दास एवं डॉ लीजा प्रियदर्शिनी ने मत्स्य सूक्ष्म जैविकी के विभिन्न तकनीकी एवं दृष्टिकोण से अवगत कराया।

प्रशिक्षण के दौरान संस्थान के डॉ प्रेम ने छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए हेचरी ईकाई, फिश फीड ईकाई, मिश्रित मत्स्यपालन ईकाई एवं नामखाना मछली बाजार के  भमण के दौरान तकनीकों की बारीकी से जानकारी दी। ट्रेनिंग पूरी होने पर संस्थान के प्रभारी डॉ देवाशिस डे ने छात्रों से 10 दिवसीय अनुभवों को साझा किया। मत्स्यपालन में उद्यमिता की संभावना के बारे में बताया। सभी छात्रों को सफल ट्रेनिंग सबंधी प्रमाण-पत्र प्रदान किया।

कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस के एसोसिएट डीन डॉ एके सिंह ने बताया कि आईसीएआर पाठ्यक्रम मॉडल के तहत अध्ययनरत स्नातक छात्रों को ग्रामीण उद्यमिता जागरुकता विकास कार्यक्रम द्वारा रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने और कराने का प्रशिक्षण अनिवार्य है। छात्रों को फील्ड कम एक्सपोजर विजिट ट्रेनिंग से खारा जल में मत्स्यपालन की गतिविधियों के ज्ञान से छात्रों को नई ऊर्जा मिली। इससे मत्स्यपालन विकल्पों को नया  आयाम देने में मदद मिलेगी।

बताते चले कि कॉलेज में स्टूडेंट रेडी प्रोग्राम का 6 माह के कोर्स का संचालन कार्यक्रम समन्वयक (रेडी) डॉ परसंता जाना एवं डॉ हरिओम वर्मा के निर्देशन में किया जा रहा है।