- एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग कॉलेज के फ्रेशर्स विद्यार्थियों को किया संबोधित
रांची। आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक कृषि पद्धतियों को समाहित करने के लिए जुनून रखने वाले विद्यार्थियों के लिए एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग स्ट्रीम एक बेहतर अवसर है। आधुनिक कृषि के युग में आने वाले वर्षों में कृषि इंजीनियरों की मांग में काफी वृद्धि होने वाली है। देश, समाज एवं विश्वविद्यालय को विद्यार्थियों से काफी अपेक्षाएं है। विद्यार्थियों को सदैव अभिवावक की भावना का ख्याल रखना चाहिए। उक्त बातें बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीनस्थ राज्य के एकमात्र कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के फ्रेशर्स विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कही।
कुलपति ने कहा कि जीवन में अनुशासन को सर्वोपरि रखें और लक्ष्य को पाने के लिए कौशल के साथ सतत प्रयासरत रहें। दुनिया काफी बड़ी है और आपका कॉलेज का क्षेत्र सीमित है। जीवन का आनंद अनुशासन में रहकर लें। विद्यार्थियों को जीवन में लक्ष्मण खींचनी होगी, शिक्षक, बड़ों और सीनियर्स विद्यार्थियों का सम्मान एवं आदर दें। जीवन में सफल होने के लिए विद्यार्थियों को इन सभी बातों पर विशेष ध्यान देना होगा।
एसोसिएट डीन ई डीके रूसिया ने कहा कि राज्य के इस एकमात्र एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को संस्कारयुक्त कार्यकलाप और प्लास्टिक मुक्त कैंपस को प्राथमिकता दी जाती है। वर्ष 2018-19 में स्थापित इस कॉलेज के चार बैच में 145 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। इस वर्ष पहली बार कॉलेज के पहले बैच के विद्यार्थियों को अंडर ग्रेजुएट डिग्री दी जायेगी। एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग की प्रमुख भूमिका बेहतर इंजीनियरिंग विधियों, आविष्कारों, प्रौद्योगिकी और उपकरणों के माध्यम से कृषि उत्पादन में सुधार करना है, जिससे बेहतर फसल उत्पादन और खेती में बेहतर मुनाफा प्राप्त हो सके।
मौके पर नाहेप कंसलटेंट एवं पूर्व इसरो वैज्ञानिक डॉ अंगदी रब्बानी ने भी अपने विचारों को रखा मौके पर कॉलेज के सभी 29 फ्रेशर्स विद्यार्थियों ने व्यक्तिगत परिचय एवं अपने अभिरूचि की जानकारी दी। शिक्षकों एवं सीनियर विद्यार्थियों द्वारा उनकी अभिरूचि से जुड़े सवालों का समाधान किया। डांस, नृत्य, कविता, कहानी एवं मिमिक्री के माध्यम से अपनी कलाओं से कार्यक्रम में समां बांधा।
कार्यक्रम का संचालन एवं एंकरिंग सीनियर विद्यार्थियों में रुपाली गुप्ता और उज्ज्वल कौंदिल्या ने किया। मौके पर डॉ एमके बर्नवाल, डॉ उत्तम कुमार, डॉ मिंटू जॉब, डॉ एसके पांडे, डॉ छाया, डॉ वंदना, डॉ अल्पना, डॉ गौरव एवं डॉ राजेश सहित भारी संख्या में सीनियर विद्यार्थी भी मौजूद थे।