कोलकाता। सीएमपीडीआई के एमईसीएल में विलय के प्रस्ताव पर केंद्रीय श्रमिक संगठन भड़क गई है। यूनियनों ने सरकार से इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की। कहा कि यह निर्णय अनुचित है। इससे औद्योगिक शांति भंग हो सकती है। बैठक में कई प्रस्ताव पारित किये गये।
कोलकाता में भारतीय मजदूर संघ (भामस), हिन्द मजदूर सभा (हिमस), आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) और सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) से सम्बद्ध कोल फेडरेशनों की बैठक हुई। इसमें श्रमिक प्रतिनिधियों ने कहा कि भारत सरकार ने सीएमपीडीआईएल और एमईसीएल का विलय का प्रस्ताव की अनुमति दी है। इस निर्णय का हम सख्त विरोध करते हैं।
प्रतिनिधियों ने कहा कि इससे हम लोगों की समझ बनती है कि सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने का सरकार ने मन बना ली है। इस संबंध में आगे कहना चाहते है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष, 2021 में ट्रेड यूनियनों को यह आश्वासन दिया गया था कि कोल इंडिया से सीएमपीडीआई को अलग नहीं किया जाएगा। सरकार का यह विलय प्रस्ताव दिये गए आश्वासन के विपरीत है।
यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि कोयला मजदूरों के 11वें वेतन समझौते की बात चल रही है। इसमें सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग नहीं करने की मांग की गई है। ऐसे में सरकार द्वारा विलय का निर्णय अनुचित है। इस निर्णय से औद्योगिक शांति भंग हो सकती है।
इस निर्णय से यह भी आशंका बनती है कि कोल इंडिया की अन्य कंपनियों खास तौर से बीसीसीएल और ईसीएल को भी अलग किया जा सकता है। सरकार से मांग करते हैं कि सरकार अपने निर्णय को वापस ले।