रांची। हर साल चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन पड़ने वाली रामनवमी के पर्व को पूरे भारत में काफी धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान राम जन्मोत्सव के रूप में श्री राम नवमी का पर्व पूरे विश्व में मनाया जाता है। इसी दिन अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां भगवान विष्णु ने भगवान राम के रूप में मानव अवतार लिया था। इस दिन भगवान राम के मंदिरों को दीपक, फूल और आम के पत्तों से सजाया जाता है।
सनातन संस्कृति में रामनवमी को भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और सनातन धर्म में राम नवमी पर्व का विशेष महत्व है। नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त राम नवमी 10 अप्रैल को देर रात 1:24 मिनट से शुरू होगी, जो कि 11 अप्रैल को देर रात करीब सवा तीन बजे समाप्त होगी। रामनवमी पर सुकर्मा और धृति योग भी बन रहा है। सुकर्मा योग 11 अप्रैल को दोपहर 12:04 तक रहेगा। इसके बाद धृति योग शुरू होगा। नया कार्य शुरू करने या खरीदारी के लिए ये मुहूर्त भी बहुत शुभ होता है।
ज्योतिर्विदों का कहना है कि इससे पहले ऐसा शुभ संयोग 1 अप्रैल 2012 को बना था और अब 6 अप्रैल 2025 को दोबारा ऐसा योग बनेगा। इन तिथियों पर किए गए शुभ कार्यों का लाभ इंसान को लंबे समय तक प्राप्त होता है।
राम नवमी की पूजा विधि
सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए। उसके बाद राम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाएं।