रांची। अपनी ही सरकार के खिलाफ झामुमो के विधायक बगावत पर उतर आये हैं। उनकी बगावती तेवर से हेमंत सरकार की सेहत बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है। राजनीतिक जानकार इसके पीछे भाजपा का हाथ बता रहे हैं।
मौसम की बढ़ती तपिश के साथ ही झारखंड में एक बार फिर सियासी तापमान गर्म हो उठा है। झामुमो के अंदर उठापटक तेज होती दिख रही है और राजनीति उबाल ले रही है। इसके साथ ही कांग्रेस-झामुमो गठबंधन की सरकार गिरने-गिराने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। दरअसल पार्टी विधायक सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम पर भाजपा के संपर्क में होने का आरोप लगा है। दोनों ही विधायकों की शिकायत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से की गई है।
पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोनों विधायकों की गतिविधियों की जानकारी दी गई है। पार्टी के एक दर्जन से अधिक विधायकों ने उनकी शिकायत पार्टी नेता शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन से की है। शिकायत करनेवाले विधायकों का कहना है कि ये दोनों विधायक लगातार संगठन विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इनकी भूमिका संदेहास्पद रही है।
पार्टी नेताओं को बताया गया है कि सरकार गिराने की मुहिम में ये दोनों विधायक पार्टी के निष्कासित पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल के संपर्क में भी हैं। उनके साथ दोनों विधायकों की सांठगांठ है। ऐसे संकेत हैं कि पार्टी नेतृत्व इन विधायकों पर कार्रवाई कर सकता है। शिकायत करनेवाले विधायकों ने पार्टी शीर्ष नेतृत्व से कहा है कि सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम की ओर से पद और पैसे का प्रलोभन दिया जा रहा है।
विधायकों ने बताया कि सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम कह रहे हैं कि पार्टी के कई विधायक अलग गुट बनाने को लिए सहमत हैं। इसमें कांग्रेस के भी कुछ विधायक शामिल हैं। वे लोग भी मुहिम में साथ दें। विधायकों से सही समय का इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने की साजिश का पहले भी खुलासा हो चुका है। राजधानी के एक होटल में पिछले वर्ष जुलाई में छापेमारी हुई थी।
पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने इस मामले में कोतवाली थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। सरकार गिराने की साजिश में शामिल लोगों के पास से कई जानकारी मिली थी। सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम की वर्तमान गतिविधियों से एक बार फिर सरकार अस्थिर करने का मामला सामने आ रहा है। वर्ष 2012 में राज्यसभा चुनाव के दौरान पैसे के लेन-देन का मामला सामने आया था। उस समय हॉर्स ट्रेडिंग में विधायक सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम का नाम उछला था। इस मामले में सीता सोरेन को आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने जांच की थी।
विधायक सीता सोरेन को जेल भी जाना पड़ा था। वर्तमान में इस मामले में सीबीआई की जांच चल रही है और मामला कोर्ट में लंबित है। इधर झामुमो विधायक सीता सोरेन का कहना है कि उन्होंने पार्टी विरोधी कुछ कार्य नहीं किया है। जो सही है, वह जरूर कहती हैं। जनता सब देख रही है। सरकार गिराने की साजिश का आरोप गलत है। जो लोग सरकार गिराने का प्रयास कर रहे हैं, वही उन पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि वह सरकार और संगठन के खिलाफ नहीं हैं।
स्थानीय नीति लागू करने की बात कर रहे हैं। सरकार ने जो वादा किया था, चुनावी घोषणा पत्र में कहा था, उसमें 1932 के खतियान की बात थी। उसे लागू करने की बात कह रहे हैं। वह कहां पार्टी और सरकार का विरोध कर रहे हैं। अपनी सरकार में नहीं बोलेंगे, तो कहां बोलेंगे। वह भाजपा के संपर्क में नहीं हैं। वह झारखंड के लोगों के संपर्क में हैं।