- मानसी कार्यक्रम से जुड़ी सहिया को दिया गया ई-स्कूटर
सरायकेला-खरसावां। एचएसबीसी ने टाटा स्टील फाउंडेशन के साथ मिलकर सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम के ऊबड़-खाबड़ एवं दुर्गम इलाकों में आवाजाही की समस्या का समाधान किया। फाउंडेशन द्वारा मानसी कार्यक्रम से जुड़ी सहिया साथियों (सहायक मिडवाइफ नर्स) को इन तीन स्थानों पर वितरित करने के लिए 565 ई-स्कूटर तैयार किए गए हैं, ताकि गर्भवती महिला और नवजात शिशुओं को त्वरित सहायता प्रदान की जा सके।
झारखंड के परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। अतिथियों में खरसावां विधायक दशरथ गगराई, ईचागढ़ विधायक श्रीमती सबिता महतो, कोल्हान आयुक्त मनीष रंजन, सरायकेला डीसी अरवा राजकमल, उप विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गगराई, सरायकेला एसपी आनंद प्रकाश, चांडिल के एसडीओ रंजीत लोहरा, सिविल सर्जन डॉ बिजय कुमार उपस्थित थे।
वितरण से पहले सहिया साथियों की सुरक्षा और ड्राइविंग कौशल सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया था। ई-स्कूटर का वितरण तीन चरणों में होगा। इसकी शुरुआत सरायकेला-खरसावां जिले से होगी, जहां 181 ई-स्कूटर वितरित किए जाएंगे। इसके बाद पश्चिमी सिंहभूम में 234 ई-स्कूटर और पूर्वी सिंहभूम में 150 ई-स्कूटर वितरित किए जाएंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टाटा स्टील के चीफ (सीएसआर) सौरव रॉय ने कहा कि हमारी टीमों ने पिछले कई वर्षों में सहिया और एएनएम दीदी के साथ मिलकर काम किया है। हम उनकी चुनौतियों को समझते हुए उनके प्रयासों का सम्मान करते हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटर समय पर पहुंच की मुख्य प्राथमिक स्वास्थ्य चुनौती को दूर करने में मदद करेंगे।
एचएसबीसी के प्रवक्ता अलोका मजूमदार (हेड, कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी) ने कहा कि एचएसबीसी जरूरतमंद समुदाय को समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। जब टाटा स्टील फाउंडेशन ने अपने मानसी कार्यक्रम के तहत कम्युनिटी मोबिलाइजर्स के मोबिलाइजेशन के लिए हमसे संपर्क किया तो हमने भी अपनी सहमति व्यक्त की। आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम के कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ई-स्कूटर वास्तव में गर्भवती माताओं और जरूरतमंद बच्चों तक समय पर उनकी पहुंच बढ़ाने के लिए एक हरित समाधान हैं।
अगले दो कार्यक्रम 20 मार्च, 2022 और 27 मार्च, 2022 को आयोजित होंगे, जहां संबंधित जिलों के गणमान्य व्यक्तियों के इस अवसर पर शामिल होने की उम्मीद है।
यह पहल संबंधित क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता की कमी को देखते हुए की गई है। इसलिए ई-स्कूटर को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह पूरी तरह से चार्ज होने में ढाई घंटे के समय में केवल 15 एम्पेयर बिजली लेता है। उन्हें किसी ड्राइविंग लाइसेंस की भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह शक्ति की महत्वपूर्ण सीमा से नीचे है जिसकी जरूरत एक वाहन को मोटर वाहन के रूप में समझा जाने के लिए चाहिए।
सहिया साथियों ने कोविड-19 के समय में मातृत्व और नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने में सबसे मौलिक भूमिका निभाई है। उस वक्त जबकि परिवहन लगभग रुका हुआ था। उन्होंने झारखंड में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में निस्वार्थ भाव से मानसी का प्रतिनिधित्व किया है।
इस पहल की शुरुआत सहिया साथियों की सुरक्षा और एजिलिटी सुनिश्चित करने के लिए की गई है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि उन्हें सशक्त बनाकर उनके काम के घंटों का उपयोग अधिक विवेकपूर्ण तरीके से किया जा सके। उनकी उत्पादकता बढ़ाई जा सके।