नई दिल्ली। देश ने बिजली की मांग में वृद्धि के बावजूद कोयले के आयात में कमी आई है। अप्रैल 2022 से जनवरी 2022 की अवधि में करीब 34 मिलियन टन कम कोयला विदेशों से आया है। इस दौरान सभी श्रेणी के गैर कोकिंग कोयले का आयात वित्तीय वर्ष 2020 के इन्हीं महीनों के दौरान 163.85 एमटी की तुलना में घटकर 125.611 मिलियन टन हो गया है। यह गिरावट लगभग 23.33 प्रतिशत की है।
जनवरी, 2022 तक घरेलू कोयला-आधारित बिजली उत्पादन 815.72 बीयू (बिलियन यूनिट) है, जोकि वित्तीय वर्ष 2020 की इसी अवधि के दौरान 724.746 बीयू थी। इस प्रकार, बिजली उत्पादन में 12.55 प्रतिशत की वृद्धि रही। आयातित कोयला-आधारित बिजली उत्पादन का अप्रैल 2020 से जनवरी 2020 के दौरान 78.07 बीयू था। इसमें 55 प्रतिशत की कमी आई है। यह चालू वित्तीय वर्ष 2022 के इन्हीं महीनों के दौरान 35.13 बीयू रह गया है।
वित्तीय वर्ष 2022 के जनवरी तक बिजली क्षेत्र में मुख्य रूप से उपयोग किए जाने वाले गैर-कोकिंग कोयले का आयात वित्तीय वर्ष 2020 की इसी अवधि की तुलना में 60.87 प्रतिशत कम होकर 58.09 एमटी से 22.73 एमटी तक आ गया है। अप्रैल 2022 से जनवरी 2022 के दौरान कोयले का आयात भी वित्तीय वर्ष 2020 की इसी अवधि के दौरान 207.235 एमटी की तुलना में घटकर 173.20 एमटी हो गया है। इस प्रकार, कोयले के आयात में लगभग 16.42 प्रतिशत की कमी हुई है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार की महत्वपूर्ण बचत हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह बचत खासकर ऐसे समय में हुई है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमतें उच्च स्तर पर हैं। घरेलू कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं क्योंकि अतिरिक्त कोयले की उपलब्धता से आयात-प्रतिस्थापन में मदद मिलेगी।
ऊर्जा की खपत की दृष्टि से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। बिजली की मांग हर वर्ष 4.7 प्रतिशत बढ़ती है। कोयले के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दृष्टि से सुधार की व्यापक पहल की गई है।