रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ ए वदूद 35 वर्षों की नियमित सेवा के बाद 31 मार्च, 2022 को रिटायर हो गए। निदेशक अनुसंधान का प्रभार विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम प्रोफेसर एवं कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ एसके पाल को सौंपा गया है।
विश्वविद्यालय के प्रबंध पर्षद कक्ष में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में डॉ वदूद को भावभीनी विदाई दी गई। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने एक शिक्षक, शोध निर्देशक और प्रशासक के रूप में उनकी चर्चा करते हुए उनके स्वस्थ, सुदीर्घ और यशस्वी भावी जीवन की कामना की।
मूलत: अररिया के किसान परिवार से आने वाले डॉ वदूद ने बीएयू से ही बीएससी (कृषि), एमएससी एवं पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। जनवरी, 1985 में कृषि भौतिकी विभाग में सहायक प्राध्यापक (तदर्थ) के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 1986 में वह सहायक प्राध्यापक के रूप में एक्सआईएसएस, रांची चले गए। साल 1987 में पुन: बीएयू की सेवा में आ गए और 2005 में सीधी भर्ती द्वारा यूनिवर्सिटी प्रोफेसर नियुक्त हुए।
एक शिक्षक के रूप में उन्होंने 6 एमएससी और दो पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में उनके 60 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हैं। 1987 से 2005 तक वह कृषि मौसम विज्ञान संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक रहे। मौसम परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए इनके नेतृत्व में झारखंड के विभिन्न जिलों के लिए आकस्मिक कृषि योजना तैयार की गई। इनके नेतृत्व में संचालित ग्रामीण कृषि मौसम परामर्श सेवा पूरे प्रदेश में काफी लोकप्रिय हुई।
जुलाई, 2020 सेवा निदेशक अनुसंधान के रूप में भी कार्य कर रहे थे। झारखंड सरकार ने डॉ वदूद को झारखंड की लोकल वेरायटी स्क्रीनिंग कमिटी का अध्यक्ष बनाया था। निदेशक अनुसंधान के रूप में इनके सतत प्रयासों के फलस्वरूप बीएयू सहित विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न फसलों के 26 उन्नत प्रभेद राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 40 वर्षों के दौरान विकसित प्रभेदों और अन्य प्रौद्योगिकी का संग्रह कंपेंडियम ऑफ़ टेक्नोलॉजी भी इनके द्वारा प्रकाशित की गई।
आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग में कार्यरत सहायक अशफाक अहमद और नियंत्रक कार्यालय के पत्राचार लिपिक अजय कुमार सिन्हा ने भी अवकाश ग्रहण किया।