नई दिल्ली। देश के कई श्रमिक संगठनों ने 28 और 29 मार्च, 2022 को दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इसमें भाग नहीं लेगा। यह जानकारी महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने दी। उन्होंने श्रमिक संगठनों को राजनीतिक प्रतिबद्धता को त्याग कर एक गैर राजनैतिक संयुक्त श्रमिक आंदोलन की रूपरेखा का निर्माण करने की नसीहत भी दी।
महामंत्री ने कहा कि इस हड़ताल का आह्वान विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित है। यह आंदोलन केवल उन राजनीतिक दलों के अस्तित्व को बचाने के लिए है, जिनसे यह श्रम संगठन संबद्ध हैं। इन श्रम संगठनों का श्रमिकों के हितों से कोई लेना-देना नहीं है। इस दो दिवसीय हड़ताल में कुछ किसान और छात्र संगठनों की सहभागिता से यह स्पष्ट है कि ये श्रम संगठन श्रमिकों के हितों की बिलकुल भी परवाह नहीं करते हैं। केवल अपने राजनीतिक दलों के राजनीतिक हितों की स्वार्थपूर्ति के लिए श्रमिकों का उपयोग करते हैं।
सिन्हा ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में बीएमएस ने विभिन्न विचारधारा वाले राजनीतिक दलों की सरकारों को देखा है, लेकिन श्रमिकों की समस्यायें अभी तक अनसुलझी है। इससे यह स्पष्ट है कि सत्ता ‘परिवर्तन’ श्रमिकों की समस्याओं के समाधान लिए रामबाण नहीं है। इसलिए यह समय है कि हम ‘सत्ता परिवर्तन’ के लिए नहीं अपितु ‘व्यवस्था परिवर्तन’ पर विचार शुरू करें। ‘व्यवस्था परिवर्तन’ अर्थात वर्तमान तंत्र के अन्दर परिवर्तन।
महामंत्री ने सभी श्रम संगठनों से आह्वान किया कि अपनी-अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को त्याग कर एक गैर राजनैतिक संयुक्त श्रमिक आंदोलन की रूपरेखा का निर्माण करें। भारतीय मजदूर संघ को एक गैर राजनीतिक संयुक्त श्रमिक आंदोलन का नेतृत्व करते हुए मजदूर वर्ग की सेवा करने में प्रसन्नता होगी। हम मजदूर वर्ग का राजनैतिक दलों के हितों के लिए उपयोग करने के लिए, शोषण की कड़ी निंदा करते हैं एवं श्रम मुद्दों के प्रति पूर्ण सहानुभूति रखते हैं। हम श्रमिकों के मुद्दों को अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से समाधान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, लेकिन श्रमिकों के राजनीतिकरण में विश्वास नहीं रखते हैं और पूरी क्षमता से श्रम कल्याण के लिए अपना कार्य करना जारी रखेंगे।