राष्ट्रपति तक पहुंचा मगही-भोजपुरी के विरोध और जेपीएससी की अनियमितता का मुद्दा

झारखंड मुख्य समाचार
Spread the love

  • हस्तक्षेप का अनुरोध, कुड़मी को भी एसटी का दर्जा दिलाने की मांग

प्रशांत अंबष्‍ठ

बोकारो। गिरि‍डीह सांसद चंद प्रकाश चौधरी, जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो, पुरुलिया सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो और गोमिया के विधायक डॉ लंबोदर महतो ने 8 फरवरी को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इन नेताओं ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति को झारखंड सरकार द्वारा राज्य के बोकारो व धनबाद जिले में भोजपुरी व मगही और अन्य जिले में मैथिली एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल करने पर चल रहे व्यापक आंदोलन एवं इसको लेकर लोगों में व्याप्त आक्रोश से अवगत कराया। उनसे इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने और झारखंड की 9 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल कराने का आग्रह किया।

राजनीतिक कारणों से एसटी की सूची से हटाया

इस क्रम में राष्ट्रपति से झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा की टोटेमिक कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने आग्रह कि‍या। उन्हें इस बात से अवगत कराया कि 1913 से 1931 की अधिसूचना में टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया था। हालांकि 1950 में राजनीति कारणों से टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया गया। इसको देखते हुए पुनः टोटेमिक कुड़मी  अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करना श्रेयस्कर रहेगा।

सातवीं से दसवीं जेपीएससी में गड़बड़ी बरती गई

तीनों सांसदों और विधायक ने राष्ट्रपति को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेसीएससी) में व्याप्त अनियमितता की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया। बताया कि सातवीं लेकर दसवीं जेपीएससी में व्यापक रूप से अनियमितता बरती गयी है। इसकी उच्चस्तरीय जांच कराकर भारतीय संविधान की अनुछेद 317 के तहत दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई कि‍या जाना आवश्यक है।

जेएसएससी का कट ऑफ डेट अव्‍यवहारिक

राष्ट्रपति को इस बात से भी अवगत कराया गया कि झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग में 1 अगस्त, 2021 जो कट ऑफ डेट रखा गया है, वह व्यावहारिक नहीं है। इस लिहाज से 2015 के विज्ञापन में निर्धारित कट ऑफ डेट को रखने की जरूरत है। राष्ट्रपति को यह भी बताया कि झारखंड में पिछड़ी जाति की आबादी 55 फीसदी है। ऐसे में पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। राष्ट्रपति को इन नेताओं ने अलग-अलग ज्ञापन भी सौंपा। राष्ट्रपति ने समुचित कार्रवाई करने को लेकर आश्वस्त किया।