रांची वेटनरी कॉलेज के स्‍नातक डिग्रीधारी विद्यार्थियों को दिलाई गई शपथ

झारखंड शिक्षा
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  • कुलपति ने अनुसंधान और शिक्षण क्षेत्र में आने की योजना बनाने की बात कही

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा है कि छात्र-छात्राएं ज्ञान, कौशल और संस्कार प्रदाता शिक्षकों में विश्वास रखें। आजीवन उनका सम्मान करें, तो जीवन की किसी भी समस्या और चुनौती से वे आसानी से निपट सकते हैं। शिक्षक का वात्सल्य भाव सबसे प्रबल होता है। दुनिया में सभी लोग एक दूसरे को पीछे छोड़ आगे बढ़ना चाहते हैं। एक शिक्षक ही चाहता है कि उसका शिष्य उससे भी आगे बढ़ जाय।

डॉ सिंह गुरुवार को रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय से साढ़े पांच वर्षों की स्नातक डिग्री लेकर निकल रहे सत्र 2016-17 के छात्र-छात्राओं के शपथ ग्रहण समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तत्काल नौकरी के पीछे दौड़ने के बजाय कुछ लोग आगे की पढ़ाई कर अनुसंधान और शिक्षण के क्षेत्र में भी आने की योजना बनायें। स्नातक डिग्री उच्च शिक्षण की शुरुआत है, अंत नहीं।

पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई कि वे पशु स्वास्थ्य के संरक्षण, उनके कष्टों के निवारण तथा पशुधन संसाधन के संवर्धन द्वारा अपने वैज्ञानिक ज्ञान और कौशल का इस्तेमाल समाज के लिए करेंगे। अपने प्रोफेशनल प्रैक्टिस में पशुचिकित्सा विज्ञान की मर्यादा और आचार नीति का भी सतत ध्यान रखेंगे।

डीन पीजी डॉ एमके गुप्ता ने छात्र-छात्राओं को आह्वान किया कि वे पशुधन के माध्यम से समाज की सेवा को अपनी नौकरी और पे पैकेज से हमेशा ऊपर रखें। क्योंकि स्नातक डिग्री की प्राप्ति मंजिल नहीं है, बल्कि यात्रा का ही अंग है।

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने कहा कि डिग्री लेने वाले विद्यार्थी जहां भी रहें, अपने सिद्धांतों और आचरण से आरवीसी का झंडा ऊंचा रखें। वार्डन डॉ आलोक कुमार पांडेय ने धन्यवाद किया। संचालन डॉ सुरेश मेहता और डॉ अर्पणा मिंज ने किया।

सर्वाधिक ओजीपीए प्राप्‍त करने के लिए डॉ मोहित दत्ता को बैच का टॉपर घोषित किया गया। डॉ दत्ता ने जूनियर्स के नाम अपने संदेश में कहा कि स्नातक के बाद एमएससी या पीएचडी करनी हो, यूपीएससी परीक्षा देनी हो या एमबीए करना हो, वे थर्ड ईयर में निश्चित रूप से तय कर लें, ताकि दो-ढाई साल अपने आगे के लक्ष्य पर फोकस कर सकें।