रांची। सुप्रीम कोर्ट में झारखंड सरकार और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा के खिलाफ लंबित अवमानना याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह इस मामले को जल्द सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा।
प्रार्थी की याचिका में आरोप लगाया गया है कि नीरज सिन्हा 31 जनवरी को सेवानिवृत्ति होने के बाद भी काम कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस अवमानना याचिका को पिछले साल सितंबर में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था। लेकिन यह अब तक सुनवाई के लिए नहीं आई है और इस बीच नीरज सिन्हा अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी झारखंड के डीजीपी के रूप में काम कर रहे हैं।
पीठ ने कहा कि अदालतें कोविड के कारण प्रतिबंधित मामलों की ही सुनवाई कर रही हैं और जल्द सुनवाई के लिए याचिका पर विचार करेगी। प्रार्थी के अधिवक्ता अपूर्व खटोर ने कहा कि यह मामला पिछले साल तीन सितंबर को सूचीबद्ध किया गया था और इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था। लेकिन उसके बाद से यह कभी सूचीबद्ध नहीं हुआ। यह मामला झारखंड के पुलिस महानिदेशक के शीर्ष पद से संबंधित है।
पीठ ने कहा कि यह प्राथमिकता वाली चीज नहीं है। अवमानना याचिकाकर्ता राजेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट फैसले के लगातार उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि इसे पिछले साल तीन सितंबर से सूचीबद्ध नहीं किया गया है।