रांची। झारखंडी खतियान संघर्ष समिति ने भाषा विवाद को झारखंड से हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करने के लिए खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है। रविवार को गोमिया विधायक डॉ लम्बोदर महतो व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को विधानसभा सत्र में खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण की मांग रखने के लिए ज्ञापन सौंपा।
समिति का मानना है झारखंड में विभिन्न क्षेत्र में भाषा की विविधता पाई जाती है। पिछले दिनों बोकारो-धनबाद समेत कई जिलों में सरकार द्वारा मगही, भोजपुरी, अंगिका भाषा लागू करने से विवाद उत्पन्न हुआ। देखते ही देखते जन आक्रोश में बदलने लगा। समिति और आम जनता के दबाव में सरकार ने बोकारो-धनबाद से भोजपुरी और मगही भाषा को वापस ले लिया। अभी भी पूरे प्रदेश से उक्त भाषाओं को नहीं हटाया गया है। इसलिए विवाद ज्यों का त्यों है। ऊर्दू, बंगाली, उड़िया को झारखंड के द्वितीय भाषा की सूची से हटाने की मांग उठने लगी है।
उधर, भोजपुरी-मगही भाषी भी आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। इससे झारखंड की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अशांति उत्पन्न होने की खतरा है। इस परिस्थित को देखकर भाषा विवाद से ऊपर उठकर खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराना नितांत आवश्यक हो गया है। इसके लिए झारखंड के तमाम सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन मिलकर सरकार पर खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण के लिए दबाव बनाई जाए। इस स्थित को देखकर झारखंडी खतियान संघर्ष समिति की गठन किया गया है।
मौके पर अमरलाल महतो, इमाम सफी, सुभाष महतो, धनेश्वर महतो, अखिल महतो, प्रशांत महतो, कमाल हसन, सबीर अंसारी मौजूद थे।