रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 14वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कई राज्य अपने जंगल और वन्यजीव को लेकर कार्य कर रहे हैं। वन विभाग उस मॉडल को झारखंड में अपनाएं। बेहतर सुविधा देंगे, तो लोग अवश्य यहां आएंगे। मुख्यमंत्री ने पलामू टाइगर रिजर्व, लावालौंग वन्यप्राणी आश्रयणी, गौतम बुद्ध वन्यप्राणी आश्रयणी समेत वनभूमि से होकर गुजरने वाली सड़कों के चौड़ीकरण, पुल निर्माण में आ रही अड़चनों को जल्द दूर करने का आदेश दिया है।
वनस्पति और जीवों से संपन्न
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्यजीव पर्यावरण और पर्यटन के एक अभिन्न अंग हैं। झारखंड प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। असीमित वन आवरण है। यह विविध वनस्पति और जीवों से संपन्न है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जिनका उपयोग पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाएगा। मालूम हो कि पर्यटन नीति के तहत वाइल्डलाइफ के जरिये पर्यटकों को आकर्षित कर झारखंड को विश्व पटल पर लाने के लक्ष्य के साथ सरकार कार्य कर रही है।
निजी भागीदारी को प्रोत्साहन
वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के अनुपालन में पर्यावरण के अनुकूल विभिन्न उपयुक्त स्थानों पर शिविर लगाने का प्रावधान पर्यटन नीति के तहत किया गया है। इसके लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। पर्यटन विभाग पर्यटकों के लिए वन्यजीव पार्कों/चिड़ियाघरों, बर्ड वाच टावर और अन्य उपयोगी सेवाओं के विकास और सुधार के लिए वन और पर्यावरण विभाग के साथ कार्य करेगा। वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान पर्यटन के अभिन्न अंग के रूप में एकीकृत होंगे।
फॉसिल पार्क का निर्माण
साहिबगंज में फॉसिल पार्क निर्माणाधीन है। 95 प्रतिशत निर्माण पूर्ण हो चुका है। इसके निर्माण के बाद पर्यटक सैकड़ों वर्ष पूर्व के जीवाश्म देख सकेंगे। मुख्यमंत्री ने इसके निर्माण को लेकर विशेष निर्देश वन विभाग को दिया है। वन विभाग राजमहल की पहाड़ियों समेत अन्य स्थानों पर फॉसिल पार्क की संभावनाओं को तलाश रहा है।