सामाजिक अज्ञानता के कारण विज्ञान में महिलाओं का योगदान छुपा रहा : डॉ कामिनी

झारखंड
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रांची। वाईबीएन विश्वविद्यालय (रांची) और विज्ञान भारती (झारखंड) के संयुक्त तत्वावधान में विज्ञान में महिला एवं लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि रांची विश्‍वविद्यालय की कुलपति डॉ (श्रीमती) कामिनी कुमार थी। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रख्यात लोक गायक कृष्ण गोपाल के स्वागत गीत और सरस्वती वंदना से हुआ।

इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि बालिका एवं महिलाओं का योगदान विकास के हर क्षेत्र में बराबर का रहा है। उन्‍होंने कहा कि सामाजिक अज्ञानता के कारण विज्ञान में महिलाओं का योगदान छुपा रहा।

मुख्‍य वक्‍ता प्रसिद्ध विज्ञान लेखिका डॉ शुभ्रता मिश्रा ने कहा कि 1901 से लेकर 2021 तक नोबेल पुरस्कार के वितरण में भी महिला के साथ भेदभाव किया गया। आंकड़े बताते हैं कि पिछले कई दशकों में एक ओर जहां नोबेल पुरस्कार में पुरुषों का भागीदारी लगभग 96 प्रतिसत रहा, वहीं महिलाओं का भागीदारी केवल 4 फीसदी रहा। इसका मुख्य कारण रूढ़िवादिता, पितृसत्ता, घरेलू जिम्मेदारी, शारीरिक सुरक्षा, उत्पीड़न, सामाजिक मानदंड रहा है।

वाईबीएन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सत्य प्रकाश यादव ने स्वागत करते हुए कार्यक्रम की जानकारी दी। विज्ञान भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री उपेन्द्र राय ने महिलाओं के समर्पण, कर्मठता को रेखांकित किया। धन्यवाद डॉ अर्पणा शर्मा ने किया।

अंतरंग संगोष्ठी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक कुमार, डॉ मनोज कुमार, डॉ ब्रजेश कुमार सिंह, डॉ सुनीता साह, डॉ साजिर अंसारी, डॉ अनिल यादव, डॉ अनामिका सिंह, बीएड महाविद्यालय, फार्मासी महाविद्यालय, नर्सिं‍ग महाविद्यालय की छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।