रांची। कोल इंडिया वर्तमान में नॉन-पावर सेक्टर को प्रतिदिन लगभग 3.4 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर रही है। यह इस खंड में कंपनी की औसत आपूर्ति है। 37 मिलियन टन (एमटी) से अधिक कोयला पिटहेड्स पर है, जिसके आधार पर कोल इंडिया का लक्ष्य इस क्षेत्र में आपूर्ति को और बढ़ाना है।
वित्त वर्ष-22 के अप्रैल-जनवरी के दौरान नॉन-पावर सेक्टर को कंपनी द्वारा कोयले का प्रेषण 101.7 एमटी एक मानक महामारी मुक्त वित्तीय वर्ष-20 की इसी अवधि में 94 एमटी की तुलना में 8.2 प्रतिशत अधिक था। वित्तीय वर्ष-2019 की तुलनीय अवधि के लिए जब सीआईएल ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक सबसे अधिक कुल कोयला प्रेषण (डिस्पैच) दर्ज किया, नॉन पावर सेक्टर को आपूर्ति 11 प्रतिशत बढ़कर 91.5 एमटी से अधिक रही।
इस अवधि के दौरान बिजली क्षेत्र को आपूर्ति की तुलना में नॉन-पावर सेक्टर ग्राहकों को आपूर्ति में वृद्धि दर अधिक थी।
अप्रैल, 20-जनवरी, 21 में नॉन पावर सेक्टर सेगमेंट में 105 मीट्रिक टन प्रेषण वित्त वर्ष-22 की समान अवधि की तुलना में 3 मीट्रिक टन से थोड़ा अधिक था। कोविड से तबाह वर्ष के दौरान प्रेषण में वृद्धि के कई कारण थे।
बिजली क्षेत्र ने वित्त वर्ष-2021 के प्रमुख हिस्से/भाग के लिए कोयले के सेवन/उपयोग को नियंत्रित किया, कोविड की वजह से मांग में व्यवधान के कारण कोल इंडिया ने एनपीएस सेंगमेंट में आपूर्ति बढ़ा दी। इसके अलावा, एनपीएस ग्राहकों ने भी कोयले की अधिक मात्रा को उठाने का विकल्प चुना क्योंकि सीआईएल की ई-नीलामी बिक्री वित्त वर्ष-2021 की पहली छमाही के लिए अधिसूचित मूल्य पर सीमित थी।
नॉन पावर सेक्टर किसी भी वित्तीय वर्ष में घरेलू कोयले के साथ सम्मिश्रण के लिए लगभग 170 मीट्रिक टन कोयले का आयात करता है। हालांकि वित्त वर्ष-2022 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोयले की बढ़ती कीमतें आवश्यक मात्रा में आयात के लिए एक बाधा साबित हुई, जिससे उनके तरफ से कोयले की कमी हो गई।
कोल इंडिया के पास नॉन-पावर सेक्टर को आपूर्ति बढ़ाने के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक है। कोयले की उपलब्धता कोई समस्या नहीं है।
बिजली उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, विकास दर एक दशक में सबसे अधिक है, जिससे राष्ट्रीय प्राथमिकता पर बिजली क्षेत्र की कोयले की मांग को पूरा करने की जरूरत है।
मजबूत आर्थिक सुधार पर सवार होकर चालू वित्त वर्ष के जनवरी, 22 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन में साल-दर-साल की तुलना में 11.02 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि इस अवधि के दौरान घरेलू कोयला आधारित उत्पादन 17 प्रतिशत बढ़ा था। बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति का बड़ा हिस्सा सीआईएल द्वारा प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया गया।
अप्रैल-जनवरी, 2021-22 के दौरान 14 आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन में 48 प्रतिशत की कमी आई। परिणामी उत्पादन अंतर को पूरा करने के लिए घरेलू कोयला आधारित जनरेटरों को स्वदेशी कोयले की आपूर्ति में वृद्धि की आवश्यकता थी। सीआईएल ने इस अतिरिक्त मांग के लगभग 20 एमटी की आपूर्ति की। दूसरे शब्दों में, आयात को उस सीमा तक कम कर दिया गया था।
बिजली क्षेत्र को कोयले को प्राथमिकता देने और अन्य चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, सीआईएल ने वित्त वर्ष-22 के जनवरी तक 101.7 एमटी पर नॉन-पावर सेक्टर ग्राहकों को पिछले वर्ष की समान अवधि का 97 प्रतिशत आपूर्ति की।