सूकरपालन किसानों के अतिरिक्त बेहतर आय का सुगम साधन : डॉ सुशील प्रसाद

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय एवं आईसीएआर-भारतीय कृषि जैविक प्रोद्योगिकी संस्थान, रांची के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 5 दिवसीय सूकरपालन प्रशिक्षण कार्यकम का समापन मंगलवार को हुआ। सूकरपालन की वैज्ञानिक विधि विषयक इस प्रशिक्षण में झारखंड के सिमडेगा, गुमला, खूंटी एवं रांची जिले, उड़ीसा के राउरकेला और बिहार के नवादा जिले के 50 किसानों ने भाग लिया।

बतौर मुख्य अतिथि डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कहा की झारखंड के ग्रामीण परिस्थिति में सूकरपालन किसानों के लिए अतिरिक्त आय ओर बेहतर आय का सुगम व्यवसाय साबित हो रहा है। सूकरपालन का वैज्ञानिक विधि से प्रबंधन से कम लागत में अधिक आय ली जा सकती है। सूकर व्यवसाय की सफलता उसकी उत्पादन क्षमता एवं आहार प्रबंधन पर निर्भर करती है। सस्ता संतुलित एवं पोष्टिक आहार सूकरों को छोटे उम्र से ही उपलब्ध कराकर किसान अधिक से अधिक लाभ ले सकते है।

उन्होंने प्रतिभागियों से प्रशिक्षण के अनुभवों को साझा किया। कहा कि इस उद्यम में किसी भी समस्या के समाधान के लिए किसी समय सबंधित वैज्ञानिक से परामर्श हासिल कर सकते है। मौके पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया।

स्वागत में प्रशिक्षण समन्यवयक डॉ आलोक कुमार पांडेय ने पूरे प्रशिक्षण के विषयों का सार प्रस्तुत किया। धन्यवाद विषय विशेषज्ञ डॉ रविन्द्र कुमार ने दी। मौके पर डॉ पंकज कुमार, वीरेंद्र कुमार साह एवं अमित बैठा भी मौजूद थे।