- सीसीएल में हुई बैठक में कई मुद्दों पर हुई चर्चा
रांची। कोल इंडिया की सहायक कंपनी रांची स्थित सीसीएल मुख्यालय के ‘कन्वेंशन सेंटर’ में ‘सेवानिवृत उपरांत अंशदायी चिकित्सा सेवा योजना (संशोधित) (सीपीआरएमएस-एनई)’ की बैठक सीआईएल के निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) विनय रंजन की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने कहा कि सीपीआरएमएस-एनई योजना कोल इंडिया और इसकी सभी अनुषंगी कम्पनियों से सेवानिवृत कर्मचारियों के स्वास्थ्य चिकित्सा के लिए महत्वपूर्ण योजना है। इसके सकारात्मक क्रियान्यवन हमारी प्राथमिकता है। बैठक में सीपीआरएमएस-एनई के फंड का निवेश, मेडकल बिल का ससमय भुगतान के साथ-साथ योजना को पारदर्शिता बनाने पर जोर दिया गया।
भारतीय मजदूर संघ के सदस्य राजीव रंजन सिंह ने बताया कि कोल इंडिया के मुख्य वित्त प्रबंधक सुनील कुमार मेहता को योजना का सदस्य बनाने को मंजूरी दी गई। वह इससे संबंधित ट्रांजेक्शन एवं लेखा जोखा का कार्य संभालेंगे। कोल इंडिया में नियमित निदेशक वित्त के आने के बाद वह स्वत: हट जाएंगे।
सिंह ने बताया कि इस योजना में 17 फरवरी, 2022 तक 2856 नए सदस्य बने हैं। अब तक 637 करोड़ रुपये जमा हुआ है। यह राशि एसबीआई के करंट अकाउंट में रखी हुई है। इस राशि को अन्यत्र निवेश करने पर चर्चा की गई। एलआईसी के प्रतिनिधि ने इस का ब्लूप्रिंट पेश किया। प्रतिनिधि ने बताया कि निवेश करने पर सालाना 7.50 फीसदी ब्याज दिया जाएगा। यूनियन के सदस्यों ने कहा कि सरकारी संस्थान में ही इस पैसे का निवेश हो, क्योंकि पैसा के अलावा सुरक्षा भी जरूरी है।
सदस्यों ने एलआईसी के प्रतिनिधि से इतनी बड़ी राशि के निवेश करने पर ब्याज के अलावा कोई और लाभ देने की जानकारी मांगी। प्रतिनिधि ने 1 सप्ताह में अपने वोर्ड की बैठक में इस पर चर्चा कर प्रस्ताव देने की बात कही। वहां से प्रस्ताव आने के बाद बैठक में चर्चा कर इस पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। सदस्यों ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने से पहले ही जमा राशि का निवेश कर दिया जाए, ताकि ब्याज मिले।
प्रबंधन की ओर से एक प्रस्ताव यह भी लाया गया कि रिटायर कर्मियों के 3 महीना के बाद भी आवास नहीं खाली करने पर उन्हें मेडिकल सुविधा से वंचित कर दिया जाए। इसका यूनियन के सभी सदस्यों ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मंच इस विषय पर चर्चा के लिए नहीं है। इस मामले को उचित मंच पर उठाएं।
सदस्यों ने यह मामला उठाया कि छह बीमारियों में अनलिमिटेड भुगतान की सुविधा है। इसके बाद भी कई बार सदस्यों से दवा सहित अन्य सुविधा के लिए अतिरिक्त पैसा वसूला जा रहा है। यह उचित नहीं है। प्रावधान के मुताबिक इसमें सब कुछ शामिल होना चाहिए। प्रबंधन की ओर से इस मामले को देखने का आश्वासन दिया गया।
प्रबंधन ने भी कहा कि कई सदस्य इलाज कराने के 6 माह के भीतर बिल जमा नहीं कर रहे हैं। 6 माह के बाद बिल जमा करने उसे नामंजूर कर दिया जाए। इस पर सदस्यों ने कहा कि बिल का भुगतान भी 45 दिन के भीतर करने का प्रावधान है। बिल का भुगतान भी 8 माह तक नहीं होता है। इस मामले में भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए। चर्चा के बाद एक ग्रिवांस सेल बनाकर इस मामले को सुलझाने का निर्णय लिया गया।
बैठक में सीसीएल के निदेशक (कार्मिक) पीवीकेआर मल्लिकार्जुन राव, कोल इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी सुनील कुमार मेहता, कोल इंडिया के महाप्रबंधक (एमपी एंड आईआर) अजय कुमार चौधरी सहित श्रमिक संघ के प्रतिनिधि राजीव रंजन सिंह, शंकर प्रसाद बेहरा, अशोक चन्द्र यादव, वीएम मनोहर एवं अन्य उपस्थित थे।