रांची। पहले से तय कार्यक्रम के तहत आज रविवार को अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के बैनर तले 28 संगठनों की हरमू विद्यानगर (रांची) में प्रतिकार सभा हुई। इसमें हेमंत सरकार द्वारा बोकारो और धनबाद से भोजपुरी, मगही को क्षेत्रीय भाषा से हटाने के फैसले का विरोध किया गया।
साथ ही कहा गया कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग आधारहीन है। मंच की अध्यक्षता करते हुए कैलाश यादव ने कहा कि राज्य के सभी जिलों में उर्दू की तर्ज पर भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और हिंदी को भी क्षेत्रीय भाषा में शामिल करना चाहिये। राज्य में भाषाई विवाद और 1932 का खतियान जैसा विषय हेमंत सरकार द्वारा निश्चित रूप से प्रायोजित है।
जानबूझकर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो द्वारा झारखंड में युगों से निवास करने वाली तीसरी, चौथी पीढ़ी के बहुसंख्य बिहारियों और अन्य को भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा को आधार बनाकर लगातार घुसपैठिया, अतिक्रमणकारी और बाहरी बोलकर निजी हमला करवाया गया। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के विपरीत है। अब सभी चौबीसों जिलों में द्वितीय राजभाषा भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका एवं हिंदी को उर्दू की तर्ज पर क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने की मांग होगी।
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की आधारहीन और असंवैधानिक मांग के विरोध में 6′ मार्च को सम्पूर्ण “झारखंड बंद” करने की घोषणा की जाती है। इस दौरान कई विषयों पर प्रस्ताव भी पास किये गये। जयहिंद पार्टी के बबन चौबे ने कहा कि जबतक हेमंत सरकार अपने फैसले को निरस्त नहीं करेगी, तब तक राज्यभर में चरणबद्ध तरीके से जिलास्तर पर प्रतिकार सभा की जायेगी।
जेडीयू नेता उपेन्द्रनाराय सिंह ने कहा कि मंच द्वारा घोषित 6 मार्च को झारखंड बंद के पहले हेमंत सरकार भोजपुरी मगही हटाने के निर्णय को वापस ले लेती है, तो झारखंड बंद को स्थगित कर दिया जायेगा, अन्यथा आंदोलन तेज किया जायेगा।