महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने इच्छाशक्ति से बिना आवाज के 3 साल के बजाय 55 साल जी कर दिखाया

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नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग 8 जनवरी 1942 को युनाइटेड किंगडम के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने स्पेस साइंस के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया। उनकी उपलब्धियों में सिंगुलैरिटी का सिद्धांत, ब्लैक होल का सिद्धांत, कॉस्मिक इन्फ्लेशन थ्योरी, यूनिवर्स का वेव फंक्शन मॉडल और टॉप-डाउन थ्योरी शामिल है।

9 साल की उम्र में औसत छात्र माने जाते थे। आगे पढ़ने की उसकी इच्छा थी। लेकिन घर में पैसे नहीं थे। ऑक्सफोर्ड के एक एक्जाम में स्कॉलरशिप पाने का चांस मिला। फिर फिजिक्स में पहली रैंक हासिल कर बाजी मार ली। हॉकिंग बचपन से ही ब्रह्मांड के प्रति आकर्षित थे। उनको 21 साल की उम्र में जो बीमारी थी उसका नाम है एमियोट्रोफिक लेटरल स्केलरोसिस। इसमें दिमाग के अंदर कुछ न्यूरॉन्स काम करना बंद कर देते हैं।

आमतौर पर इस बीमारी के बाद आदमी सिर्फ तीन साल जी सकता है, लेकिन वो 50 साल से ज्यादा झेल गए। इस बीमारी के चलते उन्होंने अपनी आवाज खो दी, लेकिन स्पीच-जनरेटिंग डिवाइस के माध्यम से बात करना शुरू कर दिया। उनके दिमाग की भाषा बोलने वाली मशीन सिर्फ अमेरिकी अंग्रेजी बोलती थी। रोज के जितने काम होते हैं खाना पीना, नहाने धोने, कपड़े पहनने, चलने से बोलने तक का हर काम मशीनों के भरोसे था। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में 17वें गणित के प्रोफेसर हुए। इसी पोस्ट पर इसी यूनिवर्सिटी में 1669 से 1702 तक सर आइजैक न्यूटन विराजमान थे। 1974 में ब्लैक हॉल्स पर रिसर्च करके उसकी थ्योरी मोड़ देने के कारण वे साइंस की दुनिया के सेलिब्रिटी बन गए थे। हॉकिंग नास्तिक थे।

उन्होंने अपने रिसर्च के माध्यम से यह कहा था कि ईश्वर ने यह दुनिया नहीं रची है बल्कि यह तो भौतिक विज्ञान के नियमों का नतीजा है। 2007 में पहली बार जीरो ग्रेविटी महसूस करने के लिए जीरो ग्रेविटी कॉर्पोरेशन फ्लाइट का सफर किया। सेंस ऑफ ह्यूमर भी गजब का है। अक्सर सवालों के मजेदार जवाब देते हैं। दिसंबर 2012 में ब्लैक होल की थ्योरी पर काम करने के लिए फंडामेटल फिजिक्स प्राइज मिला। दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग का निधन 76 साल की उम्र में 14 मार्च 2018 को हुआ था।