रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने झारखंड की मिट्टी एवं आबोहवा के अनुकूल और कम पानी में अच्छी पैदावार देनेवाली चारा फसलों की उन्नत किस्में विकसित करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि पशुपालन राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस सेक्टर के विकास के लिए हरा चारा की उत्पादकता बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल बेहतर प्रभेदों की आवश्यकता है।
विश्वविद्यालय के चारा प्रक्षेत्र और चारा फसल संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के प्रायोगिक फसलों के भ्रमण के दौरान उन्होंने संबंधित वैज्ञानिकों का निर्देश दिया कि खरीफ मौसम में प्रक्षेत्र की सारी भूमि फसलों से आच्छादित करने के उपाय सुनिश्चित किया जाएं। उन्होंने प्रक्षेत्र की सफाई एवं सौंदर्यीकरण के बारे में भी आवश्यक निर्देश दिए। वर्तमान में प्रक्षेत्र में बरसीम, खेसारी नेपियर, जई आदि चारा फसलें लगी हुई हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 60 हजार क्विंटल हरा चारा का उत्पादन किया जाता है। पशु चिकित्सा संकाय के डेयरी फार्म, सूअर फार्म एवं बकरी फार्म को आपूर्ति की जाती है। चारा प्रक्षेत्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ बिरेंद्र कुमार ने गोदाम और ट्रैक्टर की मरम्मत एवं चारा उत्पादन के लिए पर्याप्त दैनिक श्रमिक उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
इस अवसर पर पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद, अपर अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह, डॉ योगेंद्र प्रसाद, डॉ नैयर अली, डॉ ताजबर इजहार, डॉ सुषमा मांझी आदि वैज्ञानिक उपस्थित थे।