जिम्बाब्बे। दुनियाभर के देशों ने कोरोना वायरस और ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते केसों के बाद से कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं।लोगों को जहां तक हो सके वर्क फ्रॉम होम करने को कहा जा रहा है। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। हालांकि, कोरोना महामारी में स्कूल बंद होने से जिम्बॉब्वे सरकार के लिए नई परेशानी खड़ी हो गई है। दरअसल, इस देश में हाल के दिनों में स्कूली बच्चियों के प्रेग्नेंट होने के मामले तेजी से बढ़े हैं।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जिम्बॉब्वे में कोरोना काल के दौरान लड़कियां 12-13 साल की उम्र में ही प्रेग्नेंट हो रही हैं और स्कूल छोड़ रही हैं। सरकार और कार्यकर्ताओं ने इसके लिए कई कदम भी उठाए हैं, लेकिन इसमें किसी तरह का सुधार नहीं देखा जा रहा है। कोविड महामारी के दौरान जिम्बॉब्वे और अन्य दक्षिणी अफ्रीकी देशों में कम उम्र की लड़कियों के गर्भधारण में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। वर्जीनिया भी उन्हीं लड़कियों में से एक हैं।
जिम्बॉब्वे लंबे समय से कम उम्र की लड़कियों के गर्भधारण और बाल विवाह की समस्या से जूझ रहा है। देश में कम उम्र की लड़कियों की बढ़ती प्रेग्नेंसी को देखते हुए जिम्बाब्वे की सरकार ने अगस्त 2020 में अपने कानून में बदलाव कर प्रेग्नेंट छात्राओं को भी स्कूल आने की अनुमति दे दी। कार्यकर्ताओं और अधिकारियों ने इस कदम की सराहना की और इसे एक उम्मीद के रूप में देखा। लेकिन, ये नई नीति पूरी तरह से असफल रही है।
प्रेग्नेंट लड़कियां कानून में बदलाव के बावजूद स्कूल में वापस नहीं आ रही हैं। पैसों की कमी, सामाजिक प्रथाएं, क्लास में परेशान किए जाने जैसे कई कारणों से लड़कियां दोबारा स्कूल नहीं जा पा रही हैं।