रांची। केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने झारखंड के जीतपुर कोल ब्लॉक, पाताल कोल ब्लॉक, सिसई और वृंदा तथा पर्वतपुर कोल ब्लॉक का आवंटन आदेश और समझौता रद्द कर दिया है। इसको लेकर जमा की गई बैंक गारंटी के 343 करोड़ से अधिक की राशि जब्त कर उसे रिजर्व बैंक के खाते में डाल दिया गया है। यह कोल ब्लॉक अडानी पावर लिमिटेड, झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड, जेएसएमडीसीएल, टाटा स्पांज आयरन लिमिटेड और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) को आवंटित किए गए थे। आवंटन होने के पांच वर्ष बाद भी कोयले का खनन और माइनिंग कार्य शुरू नहीं करने की वजह से कोयला मंत्रालय ने यह निर्णय लेते हुए बैंक गारंटी सीज कर ली।
झारखंड के दो कोल ब्लाक सिसई और वृंदा टाटा स्पांज आयरन लिमिटेड को आवंटित किया गया था। 11 अप्रैल 2019 को ही इस कोल ब्लाक को टर्मिनेट करने की सिफारिश कोयला मंत्रालय की तरफ से की गई थी। टाटा स्पांज आयरन लिमिटेड ने इसको लेकर प्रोपर माइनिंग प्लान से लेकर इसे एग्जीक्यूट करने की दिशा में सकारात्मक पहल नहीं की थी। नतीजतन केंद्र सरकार ने कंपनी की तरफ से जमा कराए गए 133.71 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक गारंटी की राशि को जब्त कर लिया। यह बैंक गारंटी दो अप्रैल 2019 को ही टाटा कंपनी ने जमा की थी।
झारखंड सरकार की एजेंसी झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड , जेएसएमडीसी को भी पाताल कोल ब्लॉक मिला था। 2013 में भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड से पाताल कोल ब्लॉक जेएसएमडीसी को दिया था। इस कोल ब्लॉक के लिए एमइसीएल लिमिटेड ने अस्वीकृत माइनिंग प्लान सौंपे थे, जिसे केंद्र सरकार ने डिसएप्रूव कर दिया था। जेएसएमडीसी लिमिटेड को 11 नवंबर 2020 को ही केंद्र सरकार ने टरमिनेशन ऑफ एलाटमेंट ऑर्डर और एलाटमेंट एग्रीमेंट के बाबत सूचना दी थी।
इसमें कहा गया था कि 19.12.2018 से निगम को कई पत्र भेजे गए थे और कोल ब्लाक सरेंडर करने को कहा गया था। इसमें सीएमपीडीआइ लिमिटेड की ओर से पाताल कोल ब्लॉक के आपरेशन को घाटे वाला बताया गया था। यह स्टडी तीन अक्तूबर 2018 को ही केंद्र सरकार को भेजी गई थी। सीएमपीडीआइ की रिपोर्ट में कहा गया था कि जेएसएमडीसी यदि पाताल कोल ब्लॉक में आपरेशन शुरू करता है, तो उसका निगेटिव इंपैक्ट पड़ेगा। इस खदान का लाइव 25 वर्ष बताया गया था। उस समय ही केंद्र सरकार ने निगम की ओर से जमा कराए गए 52.86 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी को जब्त करने का आदेश दिया गया था।
भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) को आवंटित पर्वतपुर कोल ब्लाक कोयला मंत्रालय ने वापस ले लिया है. सेल ने ओएनजीसी के साथ मिल कर पर्वतपुर कोल ब्लाक का काम शुरू करने का निर्णय लिया था। इस कोल ब्लाक से कोल बेड मिथेन और कोयले के खनन की रिपोर्ट मेकान ने तैयार की थी। इसे केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने तकनीकी रूप से नकार दिया था। खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) ने भी इस खदान के लिए अनुमति नहीं दी थी। सीएमपीडीआइ से भी तकनीकी राय ली गई थी। उसके बाद 26.11.2018 को सेल प्रबंधन से पर्वतपुर कोल ब्लॉक के लिए जमा कराई गई 62.57 करोड़ की राशि को जब्त करने की सिफारिश की गई थी।
गोड्डा में अडानी पावर से केंद्र सरकार ने जीतपुर कोल ब्लॉक का आवंटन वापस ले लिया। इसको लेकर झारखंड सरकार और अडानी पावर के बीच कई विवाद भी हुए। झारखंड सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का हवाला देते हुए कोल माइंस के लिए आवंटित भूमि को टर्मिनेट कर दिया। वहीं अडानी पावर ने दिल्ली हाईकोर्ट में झारखंड सरकार के खिलाफ मुकदमा भी किया। 31 अक्तूबर 2020 को अडानी पावर से केंद्र सरकार ने आवंटित कोल ब्लॉक को सरेंडर करने का आदेश दिया था। इसके लिए अडानी पावर ने 92.90 करोड़ की बैंक गारंटी केंद्र सरकार को दी थी, जिसे जब्त कर लिया गया।