बुनियादी सुविधाओं से अछूता है परमवीर का पैतृक गांव जारी, पिता ने लड़ा था द्वितीय विश्वयुद्ध

झारखंड
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रांची। परमवीर अल्बर्ट एक्का का आज शहादत दिवस है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्मय साहस का परिचय देनेवाले अल्बर्ट एक्का का पैतृक गांव का नाम जारी है, जो गुमला जिले में अवस्थित है। यह एक जनजातीय बहुल इलाका है।

कुछ वर्ष पूर्व तक तीन दिसंबर को परमवीर के पैतृक गांव में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उन्हें भव्य कार्यक्रम आयोजित होते थे। लेकिन अब यह आयोजन फीका होता जा रहा है। पहले जहां जारी में तीन दिसंबर को सैन्य व जिला प्रशासन के अधिकारियों समेत मंत्री-नेता आदि जारी पहुंचते थे, वहीं पिछले तीन-चार वर्षों से अमूमन सन्नाटा ही पसरा रहता है। अपने नायक की यह उपेक्षा जारी के लोगों को खलती है।

छत्तीसगढ़ से सटे गुमला जिले के जारी में वर्ष 1942 में जूलियस एक्का व मरियम एक्का के परिवार में अल्बर्ट एक्का का जन्म हुआ था। अल्बर्ट के पिता भी सेना में थे। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध की लड़ाई लड़ी थी। अल्बर्ट एक्का ने प्रारंभिक पढ़ाई जारी और मिडिल स्कूल की पढ़ाई भीखमपुर से की। युवा होने पर वह भारतीय सेना में शामिल हो गए। 20 वर्ष की उम्र में पराक्रमी अल्बर्ट एक्का ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में गंगासागर इलाके में शहीद होने से पहले भारत की जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।

इस युद्ध में उन्हें वीरता का नया मानदंड स्थापित किया। शहादत से तीन वर्ष पूर्व 1968 में बलमदीना एक्का से उन्होंने शादी की। गांव में परमवीर अल्बर्ट एक्का के पुत्र विंसेंट एक्का अपने परिवार के साथ रहते हैं। परमवीर अल्बर्ट एक्का के एकलौते पुत्र विंसेंट एक्का कहते हैं कि उसके पिता के सम्मान में जारी को प्रखंड बनाया गया। इसके बावजूद प्रखंड बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

कई नेता-मंत्री बड़े-बड़े वायदे कर इस प्रखंड से चले गए। लेकिन आज तक कुछ काम नहीं हुआ। इस प्रखंड के लोग इलाज के लिए यशपुर, गुमला, डुमरी, चैनपुर आदि जाते हैं। प्रखंड में बन रहा स्वास्थ्य उपकेंद्र आज भी अधूरा है। जारी में सैनिक स्कूल बनाने की मांग कई वर्षों से हो रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।