खरीफ और रबी दलहनी कार्यक्रमों का लिंक जोड़ने पर जोर

कृषि झारखंड
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  • पूर्वी क्षेत्र में आईसीएआर की दलहन शोध परियोजनाओं की पंचवर्षीय समीक्षा शुरू

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पूर्वी क्षेत्र के 11 कृषि विश्वविद्यालयों में संचालित आईसीएआर प्रायोजित दलहन शोध परियोजनाओं की पंचवर्षीय समीक्षा बैठक गुरुवार से शुरू हुई। दो दिवसीय यह बैठक आईसीएआर-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर), कानपुर के सौजन्य से हो रही है। समीक्षा बैठक का आयोजन बीएयू के आनूवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग में हो रही है।

बैठक के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता पंचवर्षीय समीक्षा दल के अध्यक्ष डॉ एसके शर्मा ने की। वह हिमाचल प्रदेश कृषि विश्विद्यालय, पालमपुर के पूर्व कुलपति भी हैं। उन्‍होंने आईसीएआर प्रायोजित दलहन शोध परियोजनाओं में संसाधनों के अधिकतम उपयोग से बेहतर परिणाम देने की बात कही। परियोजनओं के कार्यक्रमों में बहुआयामी, बहु उद्देशीय, बहु संस्थानिक, बाहय वित्तीय संस्थानों एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से सहयोग और समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया। साथ ही, खरीफ एवं रबी दलहनी कार्यक्रमों का लिंक जोड़ने पर बल दिया।

मौके पर आईआईपीआर, कानपुर के राष्ट्रीय परियोजना समन्यवयक और दल के सदस्य सचिव डॉ जीपी दीक्षित ने पूर्वी क्षेत्र के 11 कृषि विश्वविद्यालयों में संचालित आईसीएआर प्रायोजित दलहन शोध परियोजनाओं की शोध कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने कहा कि झारखंड में दलहनी फसलों के आच्छादन में बढ़ोतरी के अपार अवसर हैं। प्रदेश के लिए उपयुक्त अनेक दलहनी तकनीकों को विकसित करने में हाल में बीएयू को सफलता मिली है। प्रदेश में दलहन फसल की खेती की संभावना को देखते हुए अधिक शोध प्रयासों की आवश्यकता है।

स्वागत करते हुए बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने क्षेत्र की कृषि पारिस्थिकी एवं बदलते मौसम के अनुरूप दलहन शोध की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने झारखंड में धान की खेती उपरांत परती भूमि में दलहन खेती की संभावना एवं उपयुक्त तकनीकी विकसित करने पर जोर दिया।

समीक्षा दल ने पहले दिन बीएचयू वाराणसी के डॉ एके सिंह, एनडीयूए एंड टी अयोध्या के डॉ शिव नाथ, सीएसयूए एंड टी कानपुर के डॉ एसके गुप्ता, सीएयू ढोली पूसा के डॉ एसबी मिश्र और बीएयू सबौर भागलपुर के डॉ संजय कुमार ने अपने-अपने केन्द्रों की दलहन शोध कार्यक्रमों की उपलब्धियों को रखा।

इस पंचवर्षीय समीक्षा दल में सदस्यों में डॉ डीपी सिंह, पूर्व निदेशक अनुसंधान जीपीबी एंड युएटी पंतनगर, डॉ एसके शर्मा पूर्व निदेशक सेंट्रल सोईल सेलिनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल, डॉ बीबी आहूजा पूर्व निदेशक एनसीआईपीएम दिल्ली, डॉ पी कुमार पूर्व प्रदान कृषि अर्थशास्त्र गुरुग्राम हरियाणा और डॉ केआर कौंडल पूर्व निदेशक एनआईपीआईबी आईएआरआई न्यू दिल्ली शामिल है।

बैठक का आयोजन आनूवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम एवं उपनिदेशक अनुसंधान डॉ सीएस महतो द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन डॉ नीरज कुमार ने किया। धन्यवाद में मुलार्प परियोजना के विशेषज्ञ डॉ पीके सिंह ने मुलार्प के तहत चना, मसूर, उरद, राजमा एवं मूंग फसल के क्षेत्र में शोध कार्यक्रमों के बारे में बताया। मौके पर डॉ एस कर्मकार, डॉ एचसी लाल एवं डॉ विनय कुमार सहित अनेकों वैज्ञानिक मौजूद थे।

शुक्रवार को रांची, कल्याणी, शिलोंग, त्रिपुरा, इम्फाल, नागालैंड केंद्रों के परियोजना प्रभारी पांच वर्षो के दलहन शोध कार्यक्रमों की उपलब्धियों को रखेंगे।

समीक्षा दल आईसीएआर को अपनी रिपोर्ट देगी। उसके बाद परियोजना को लेकर हर बिंदु पर मंथन किया जाएगा। इसमें यह भी तय किया जाएगा कि परियोजना में बदलाव की जरूरत है या नहीं। इसे विस्‍तार देना है या सीमित करना है।