नई दिल्ली। भारतीय मूल की अमेरिकी गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर 1971 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था। हालांकि उनके माता-पिता मूल रूप से केरल के थे और कन्नूर में रहते थे। उनकी शुरुआती शिक्षा कर्नाटक के मैसूर स्थित निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से हुई। गीता बचपन में पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थी।
उनके पिता गोपीनाथ ने The Week को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि सातवीं क्लास तक तो गीता के महज 45 फीसदी नंबर आते थे, लेकिन इसके बाद वह पढ़ाई में निखरती गईं। भारतीय मूल की दिग्गज अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है।
हाल ही में उन्हें आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में नंबर-2 की कुर्सी दी गई है। फिलहाल वह IMF की पहली महिला चीफ इकोनॉमिस्ट हैं। उनका कार्यकाल जनवरी में समाप्त होने वाला था और फिर से हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में लौटने वाली थीं। लेकिन इससे पहले ही आईएमएफ के फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के लिए उनके नाम की घोषणा कर दी गई। वे जियोफ्रे ओकामोटो की जगह लेंगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में एडमिशन लिया और इकोनॉमिक्स में बीए ऑनर्स किया। फिर वहीं दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके बाद वह वॉशिंगटन चली गई और वहां की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से 1996-2001 में पीएचडी की।
दुनिया के दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शुमार गीता को इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स संबंधित शोधों के लिए जाना जाता है। साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था। गीता गोपीनाथ पहली महिला हैं, जो आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट बनीं।
उन्होंने कोरोना महामारी के दौर में वैश्विक आर्थिक मंदी दूर करने के लिए असाधारण काम किया। पूरी दुनिया लॉकडाउन से गुजर रही थी, तब उन्होंने दुनिया को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई।