निजीकरण के खिलाफ बैंकों की देशव्‍यापी हड़ताल 16 दि‍संबर से, कर्मियों ने किया प्रदर्शन

झारखंड
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रांची। केंद्र सरकार के बैंकों के निजीकरण करने के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को बैंक कर्मियों की देशव्‍यापी हड़ताल है। इसे लेकर यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्‍स 13 दिसंबर को झारखंड की राजधानी रांची के डोरंडा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा के समीप विरोध प्रदर्शन किया।

इस अवसर यूनियन के लोगों ने कहा कि केन्द्र सरकार शीतकालीन संसद सत्र में बैंकिंग कंपनी अधिनियम 1970 और 1980 और बैंकिंग अधिनियम 1949 को संशोधन करना चाहती है। इसके माध्यम से केन्द्र सरकार बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। इसके विरोध में बैंककर्मियों ने प्रदर्शन किया। इसमें महिला कर्मियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक लगातार ऑपरेटिव लाभ अर्जित कर रहे हैं। इनका ऑपरेटिंग लाभ 2009-10 में 76,945 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़कर 1,97,374 करोड़ हो गये। आए दिन सरकार द्वारा गलत प्रोविजनिंग के कारण इसे घाटा दिखाया जा रहा है। पिछले 52 वर्षों का अनुभव है कि राष्ट्रीयकृत बैंक कभी फेल नहीं हुए, बल्कि निजी क्षेत्र के बैंक फेल होते रहे हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ग्राहकों के पैसा डूबने से बचाया। कर्मचारियों के रोजगार की भी रक्षा की।

वक्‍ताओं ने कहा कि वर्ष, 2008 की विश्व व्यापक आर्थिक मंदी के कारण अमेरिका, यूरोप, फ्रांस आदि देशों में बैंक फेल होते रहे। हालांकि हमारे देश के बैंक सुदृढ़ रहे। हाल ही में निजी बैंक लक्ष्मी विलास बैंक एक विदेशी बैंक डीबीएस के हाथों बिक गया। आने वाले दिनों में यही हाल अन्य निजी बैंकों का भी हो सकता है।

नवउदारवाद की नीति 1991 से सरकार द्वारा जो भी कमेटी गठित की गई, उनका एकमात्र राग निजीकरण के पक्ष में था। बैंककर्मी अभी तक इसके विरोध में 59 हड़ताल कर चुके हैं। यह कटु सत्य है कि निजीकरण सभी समस्याओं का हल नहीं है। इससे आने वाले दिनों में शाखाओं की बंदी, कर्मचारियों की छटनी, बेरोजगारी में बढ़ोतरी, ग्राहक सेवा आदि प्रभावित होंगे।

प्रदर्शन को सुनील लकड़ा, सुगुन उरांव, पंकज कुमार सिन्हा, वाईपी सिंह, घनश्याम श्रीवास्तव, राजन कुजुर, प्रकाश उरांव, अमन कुमार सिंह, अखिलेश कुमार, एमएल सिंह आदि ने संबोधित किया। जनता से 16 और 17 दिसंबर, 2021 की हड़ताल को सफल करने में सहयोग करने की अपील की।