आइस आइलैंड में बंधक थे झारखंड के 16 श्रमिक, करना पड़ता था 22 घंटे काम

झारखंड
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  • कराया गया मुक्त, श्रमिकों को 15 दिनों की मजदूरी का हुआ भुगतान

रांची। आंध्र प्रदेश में झारखंड के 16 श्रमिक बंधक थे। सभी से 22 घंटे काम कराया जा रहा था। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर उ‍न्‍हें मुक्‍त कराया गया। श्रमिकों को 15 दिनों की मजदूरी का भुगतान भी किया गया है। अब सभी झारखंड लौट रहे हैं।

काम के बहाने ले गये थे

आंध्रप्रदेश के आइस आइलैंड में बंधक बनाकर झारखंड के चाईबासा के 16 श्रमिकों को रखा गया था। श्रमिकों को काम के बहाने ले जाकर बंधक बना लिया गया था। मुख्यमंत्री ने मामले की जानकारी मिलते ही चाईबासा श्रम अधीक्षक और श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को अविलंब श्रमिकों की घर वापसी कराने का निर्देश दिया। उनके निर्देश पर प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने आंध्रप्रदेश के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाया। इसके बाद आंध्रप्रदेश पुलिस और वहां के श्रम विभाग की टीम ने छापेमारी कर श्रमिकों को मुक्त कराया।

मारपीट भी की जाती थी

श्रमिकों को एक ठेकेदार अच्छा काम दिलाने के नाम पर आंध्रप्रदेश लेकर गया था। वहां पहुंचने पर सभी श्रमिकों को इधर-उधर घुमाया गया। फिर आइस आईलैंड में मछली पालन के काम में लगा दिया गया। वहां उनसे 22 घंटे काम लिया जाता था। श्रमिकों के अनुसार उनसे रात में भी काम कराया जाता था। काम पर नहीं जाने पर उनके साथ  दुर्व्यवहार और मारपीट की जाती थी। कार्यस्थल पर पीने का साफ पानी भी नहीं मिलता था। सभी को गंदा पानी पीकर रहना पड़ता था। खाना भी ठीक से नहीं मिलता था। तंग आकर श्रमिकों ने इस हालत में काम नहीं करने और वापस झारखंड लौटने की बात ठेकेदार से कही। इसपर श्रमिकों से दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें बंधक बना लिया गया। मजदूरी का पैसा भी नहीं मिला। खाना भी बंद कर दिया गया था।

श्रमिकों को मजदूरी मिली

राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की पहल पर श्रमिकों को 15 दिनों की पारिश्रमिक 48,000 रुपये का भुगतान करा दिया गया है। सभी श्रमिक विजयवाड़ा स्टेशन से 2 दिसंबर की सुबह ट्रेन से झारखंड के लिए रवाना हो चुके हैं। श्रमिकों ने एक वीडियो के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।