- भेल ने किया है विकसित, लगाया गया नोएडा में
नई दिल्ली। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने अत्याधुनिक वायु प्रदूषण नियंत्रण टॉवर विकसित किया है। यह टावर अपने बेस के माध्यम से प्रदूषित हवा को खींचकर इसमें लगे फिल्टर में पार्टिकुलेट मैटर यानी प्रदूषण कणों को हवा से अलग कर देता है। इसके बाद टावर के ऊपरी हिस्से से स्वच्छ हवा निकलती है। पार्टिकुलेट मैटर यानी प्रदूषण कण एपीसीटी के निचले हिस्से में लगे हॉपर में इकठ्ठा होते हैं। इसे समय-समय पर साफ करने के लिए टॉवर से अलग किया जाता है। हरिद्वार स्थित भेल का प्रदूषण नियंत्रण अनुसंधान संस्थान एपीसीटी के प्रदर्शन पर एक वर्ष तक अध्ययन करेगा।
प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले इस टॉवर को नोएडा में डीएनडी फ्लाईवे को नोएडा एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाले स्लिप रोड के बीच लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि डीएनडी और नोएडा एक्सप्रेस वे पर वाहनों का आवागमन अधिक होने के कारण क्षेत्र में प्रदूषण अधिक है।
नोएडा प्राधिकरण ने टावर के लिए जगह मुहैया कराई है। प्राधिकरण इसके संचालन में आने वाले खर्च का 50 फीसदी वहन करेगा। इसके डिजाइन से लेकर निर्माण, स्थापित करने और इसे कार्यशील करने से संबंधित अन्य सभी प्रकार की पूंजीगत लागत का खर्च भेल द्वारा वहन किया गया है।
भेल के कॉरपोरेट आरएंडडी डिवीजन द्वारा डिजाइन और विकसित है। इसका निर्माण एचईईपी हरिद्वार संयंत्र में किया गया है। इस प्रायोगिक परियोजना की सफलता के आधार पर ऐसे और भी प्रदूषण नियंत्रण टॉवर एनसीआर के अन्य हिस्सों में भी स्थापित किए जाएंगे, ताकि क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके।
इसके उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि शहरी क्षेत्रों विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। प्रदूषण को स्रोत पर ही खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही हमें वायु प्रदूषण को कम करने के विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए।