- राजभवन में विश्व बाल दिवस पर बाल पत्रकारों को किया संबोधित
रांची। राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि हमारे बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हर बच्चा में कोई न कोई प्रतिभा होती है। आवश्यक है उनमें निहित प्रतिभा को निखारने की, ताकि हमारे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने कहा कि सभी बच्चों को उनके अधिकार मिले। वे पढाई करे और उन्नति करें। आज बहुत से परिवार अर्थाभाव के कारण बच्चों को मजदूरी के लिये भेज देते हैं। शिक्षा से वंचित रखते हैं। इस दिशा में हम सभी को ध्यान देने की जरूरत है। राज्यपाल 20 नवंबर को राजभवन में विश्व बाल दिवस पर यूनिसेफ, झारखंड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बाल पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में यूनिसेफ के प्रमुख प्रसांता दाश और कम्युनिकेशन ऑफिसर सुश्री आस्था अलंग सहित यूनिसेफ के अधिकारी एवं बाल पत्रकार मौजूद थे।
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना का पालन करने के लिए सरकार द्वारा कई नियम बनाये गए हैं। सरकार कोई भी नियम जनता के लिये ही बनाती है। कोरोना की भयावह को वही जानता है, जिनके परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हुआ है। किसी ने अपने परिवार के सदस्य को खोया भी। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को कोरोना के नियमों का पालन स्वयं के लिए करें। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों ने लंबे अंतराल तक ऑनलाइन पढ़ाई की। आज विश्व बाल दिवस के अवसर पर बच्चों ने राजभवन में यूनिसेफ द्वारा आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता ‘रिइमेजनिंग द फ्यूचर इन अ पोस्ट कोविड वर्ल्ड’ में बेहतर पेंटिंग प्रस्तुत कर सबको आकर्षित किया। राज्यपाल ने सभी बच्चों के पेंटिंग को देखकर संवाद स्थापित करते हुए विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने बाल पत्रकारों के मनोबल बढ़ाते हुए उनके मध्य प्रमाण पत्र वितरित किये।
राज्यपाल ने बाल पत्रकारों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि कोरोनाकाल ने लोगों को चुनौती में जीना सिखाया। उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है। हम वासुधैव कुटुम्बकम की राह पर चलते हैं। इसलिए कहीं भी वाद-विवाद नहीं होना चाहिये। बेहतर माहौल में प्रगति के पथ पर अग्रसर रहना चाहिए।
राज्यपाल को उक्त अवसर पर बाल पत्रकारों द्वारा कोरोना महामारी के दौरान अपनी समस्या और चुनौतियों के सदर्भ में अवगत कराया। उन्होंने ऑनलाइन क्लास की समस्या के संदर्भ में अवगत कराते हुए कहा कि स्मार्टफोन का अभाव व नेटवर्क की समस्या का सामना करना पड़ा।
बाल पत्रकारों ने कहा कि ऑनलाइन क्लास में समझने में भी समस्या होती थी। बच्चों ने कहा कि ऑनलाइन क्लास में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्कूल अब खुल गये हैं, लेकिन पूर्व की भांति अब पढ़ाई नहीं हो पा रही है। बाल पत्रकारों ने कहा कि कोरोना का प्रभाव शिक्षा के साथ उनके मानसिक दशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। लॉकडाउन में उनके अभिभावक घर के बाहर नहीं जाने देते थे। विद्यालय खुलने के बाद स्थिति में परिवर्तन आया है। बाल पत्रकारों ने विद्यालयों में कोविड टीकाकरण, खेलकूद गतिविधियों को प्रोत्साहित करने पर बल देने के लिए कहा। बाल पत्रकार सृष्टि द्वारा ‘कोरोना के बाद स्कूल’ शीर्षक पर कविता सुनाया गया। प्रीति टोप्पो द्वारा शिक्षा शीर्षक पर कविता सुनाया।
प्रसांता दाश ने कहा कि कोविड-19 महामारी दुनिया भर में व्यवधान का कारण बनी हुई है। विश्व बाल दिवस के अवसर पर राज्यपाल द्वारा राजभवन में आयोजित चित्रांकन प्रतियोगिता में भाग लेकर बच्चों ने इन चुनौती एवं समस्याओं को अपनी कला के माध्यम से चित्रित किया है। सभी बच्चों के अपने सपने होते हैं। उन्हें पूरा करने का भी उन्हें अधिकार है। बच्चों के अधिकारों के संरक्षक और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में यह सुनिश्चित करना हम सभी का कर्तव्य है कि बच्चे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचे और उनका संपूर्ण विकास हो।
यूनिसेफ की कम्युनिकेशन ऑफिसर आस्था अलंग ने कहा कि बच्चों ने पिछले डेढ़ साल में अपने घरों में सीमित सामाजिक जुड़ाव के साथ बिताए हैं। यह समझने के लिए कि बच्चों की चुनौतियां क्या हैं और वे क्या चाहते हैं। इस परिचर्चा का आयोजन इस उद्देश्य के साथ किया गया ताकि बच्चों को उन महत्वपूर्ण मंचों का हिस्सा बनाकर निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जा सके।