दिल्ली। अधिवक्ता सौरभ कृपाल देश के पहले समलैंगिक जज हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में कृपाल की प्रस्तावित नियुक्ति उनकी कथित यौन अभिरूचि के कारण विवाद का विषय था। कृपाल को 13 अक्टूबर 2017 में तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्व में दिल्ली हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा प्रमोट करने की सिफारिश की गई थी। फिर कॉलेजियम ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
हालांकि, तब केंद्र की सरकार ने कृपाल की कथित यौन अभिरूचि का हवाला देते हुए उनकी सिफारिश के खिलाफ आपत्ति जताई थी। सिफारिश पर विवाद और केंद्र द्वारा कथित आपत्ति को लेकर पिछले चार वर्षों से कई अटकलें लगाई जा रही थीं। सुप्रीम कोर्ट के इस कॉलेजियम में सीजेआई एनवी रमना के अलावा, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस ए एम खानविलकर हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित मामलों पर गौर करने वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा हैं।
सौरभ कृपाल खुद को सार्वजनिक तौर पर समलैंगिक बताते हैं और समलैंगिकों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाते आए हैं। सौरभ कृपाल पूर्व सीजेआई बी एन कृपाल के बेटे हैं जिन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। वहीं उन्होंने ग्रेजुएशन में लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ली है। उन्होंने पोस्टग्रेजुएट (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से किया है।
सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने दो दशक तक प्रैक्टिस की है। सौरभ की पॉपुलैरिटी ‘नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ के केस को लेकर जानी जाती है, दरसअल वह धारा 377 हटाये जाने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील थे। सितंबर 2018 में धारा 377 को लेकर जो कानून था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।