मानसी : जीवन को स्पर्श करता एक दशक

झारखंड सेहत
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जमशेदपुर। माता और नवजात शिशुओं में मृत्यु दर को कम करने के टाटा स्टील फाउंडेशन के कार्य में ‘मानसी’ लंबे समय से एक बड़ा मददगार साबित हुआ है। प्रोजेक्ट की मूल धारणा झारखंड और ओडिशा के ग्रामीण समुदायों की महिला और बच्चों को समग्र मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने और इस तरह, मृत्यु दर को कम करने के साथ-साथ उचित स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जागरुकता फैलाने पर केंद्रित है।

पिछले एक दशक में ‘मानसी’ संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित इसके 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक में अपनी सफलताओं को रेखांकित करने में सक्षम रहा है, जो कि ’अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण’ को सुनिश्चित करना है। यह प्रोग्राम ’स्वास्थ्य कल के एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में नवजात शिशुओं के जबरदस्त प्रभाव को समझता है। इसलिए, हम उसी समर्पण और मूल्यों को बनाए रखने के लिए सतर्क हैं, जैसा हमने ‘मानसी’ की स्थापना के दौरान किया था।

अपने परिचालन क्षेत्रों के गांवों में ‘मानसी’ के एंडलाइन सर्वे के आधार पर एक रिपोर्ट में यह पाया गया कि झारखंड और ओडिशा के सभी तीन हस्तक्षेप जिलों में बेसलाइन से एंडलाइन सर्वे में संस्थागत प्रसव में वृद्धि हुई है। सरायकेला-खरसावां जिले में 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, तो पश्चिम सिंहभूम जिले ने 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। केंदुझर जिले ने बेसलाइन और मिडलाइन से एंडलाइन के आंकड़े में 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। यह संस्थागत प्रसव में वृद्धि की राष्ट्रीय प्रवृत्ति के अनुरूप भी है।

इसके अलावा, सुरक्षित घरेलू प्रसव के बारे में ग्रामीण समुदायों के बीच जागरुकता पैदा करने के प्रयास के तहत ‘मानसी’ ने एंडलाइन सर्वे के दौरान पश्चिम सिंहभूम जिले में कुल 46.27 प्रतिशत सुरक्षित घरेलू प्रसव का उल्लेख किया है। जिले का बेसलाइन आंकड़ा 58.62 प्रतिशत था, जो कि एंडलाइन के आंकड़े से अधिक है और यह इस तथ्य को दर्शाता है कि सुरक्षित तरीके से संचालित किये जा रहे घरेलू प्रसव की संख्या अभी भी 46.27 प्रतिशत पर है, अर्थात समुदायों की महिलाएं धीरे-धीरे अधिक सुरक्षित संस्थागत प्रसव का विकल्प चुन रही हैं।

इसी तरह, पश्चिमी सिंहभूम के नोआमुंडी प्रखंड में किये गये तीन सर्वे में प्रखंड ने अधिकतम घरेलू प्रसव दर्ज किया, फिर भी प्रतिशत में धीरे-धीरे गिरावट देखी गई। बेसलाइन सर्वे में 65.35 प्रतिशत का कुल घरेलू प्रसव का घट कर 59.33 प्रतिशत हो गया।

उच्च-जोखिम की श्रेणियों में मरीजों की सहायता और चिकित्सीय सेवा करने के लिए जून 2018 के महीने में ऑपरेशन सनशाइन शुरू किया गया था और इसने उच्च जोखिम वाले मामलों में प्रतिक्रिया समय को कम कर और इस तरह, मौत के आंकड़ों को 48 प्रतिशत तक कम कर जीवन की रक्षा करने में मदद की।

झारखंड और ओडिशा के 12 प्रखंडों के लिए 2018 में किए गए मिडलाइन वाइटल रेट सर्वे ने 2015 के आधारभूत संकेतकों की तुलना में एनएमआर में 24 प्रतिशत, आईएमआर में 20 प्रतिशत और सीएमआर में 27 प्रतिशत की कमी के संकेत दिये हैं।

वित्तीय वर्ष 2009-10 से वित्तीय वर्ष 2015-16 के बीच झारखंड के सरायकेला प्रखंड में ‘मानसी’ के पहले चरण में जब हम 199 सहियाओं के साथ काम कर रहे थे, तब मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। 2015 में किए गए एक वाइटल  रेट सर्वे से पता चला है कि 2011 के बेसलाइन संकेतकों की तुलना में नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) में 61 प्रतिशत, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में 63 प्रतिशत और बाल मृत्यु दर (सीएमआर) में 54.9 प्रतिशत की कमी आई है।

 इस प्रोग्राम की सफलता को देखते हुए ‘मानसी’ ने वित्त वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2020-21 के बीच अपने दूसरे चरण में झारखंड के सरायकेला जिले के एक प्रखंड के 167 गांवों से आगे बढ़ते हुए दो राज्यों यानी झारखंड और ओडिशा के तीन जिलों के 12 प्रखंडों में फैले 1,686 गांवों तक का विस्तार किया। इस चरण में झारखंड के सरायकेला-खरसावां (8 प्रखंड) और पश्चिमी सिंहभूम (2 प्रखंड) जिले और ओडिशा के क्योंझर (2 प्रखंड) जिले के लगभग 14 लाख की आबादी को कवर किया गया।

 ‘मानसी’ टाटा स्टील फाउंडेशन के हस्ताक्षर कार्यक्रमों में से एक है, जिसमें एक मॉडल के रूप में सेवाएं देने की गुणवत्ता निहित है। यह एक ऐसा विचार है, जिसे नवजात मृत्यु और उच्च जोखिम वाले श्रेणी के मरीजों को आम खतरों से बचाने ने के लिए देश भर में दोहराया और अनुकूलित किया जा सकता है। इसलिए, यह प्रोग्राम एक ऐसा प्रयास है, जो सीमाओं को पार कर चुका है और अन्य राज्य अपने ग्रामीण इलाकों में इसी फॉर्मूले को अपनाने के लिए निरंतर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

 जमीनी स्तर पर  प्रोग्राम को दर्शाने वाले मानसीके आंकड़े

——– अप्रैल, 2015 से मार्च, 2020 तक ——–

..बेसलाइन में कमी (प्रतिशत)
एनएमआरनवजात मृत्यु दर (0-28 दिन)37.60%
आईएमआरशिशु मृत्यु दर (0-365 दिन)43.50%
सीएमआरबच्चा मृत्यु दर (5 से कम आयु के)47.00%