नई दिल्ली। संसद के 29 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार एक नया बिजली संशोधन बिल भी लाने वाली है। बिजली संशोधन बिल का ड्राफ्ट लगभग फाइनल हो चुका है। इस बिल के मुताबिक, बिजली कंपनियों को सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी। बल्कि सरकार ग्राहकों के बैंक अकाउंट में सब्सिडी को डायरेक्ट ट्रांसफर करेगी। यह बिल्कुल वैसा ही होगा जैसा कि रसोई गैस की सब्सिडी में होता है। इस बिल के माध्यम से बिजली वितरण को डी-लाइसेंस करने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
इसका फायदा ये होगा कि बिजली वितरण के प्राइवेट प्लेयर सरकारी वितरण कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे। इसके अवाला, बिजली उपभोक्ता ये चुनाव कर पाएंगे कि वे बिजली वितरण करने वाली कंपनियों में से किससे बिजली लेना चाहते हैं। इसके बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पिछले यूनियन बजट में कहा था कि सरकार ऐसा एक फ्रेमवर्क लाने पर काम कर रही है।
फिलहाल कई बिजली वितरण कंपनियां नुकसान में चल रही हैं। डिसकॉम पर कंपनियों का 95 हजार करोड़ बकाया है। डिसकॉम को सब्सिडी मिलने में देरी होती है, जिससे वितरण कंपनियां संकट में हैं। ऐसे में कंपनियों को इस संकट से उभारने के लिए सरकार यह बिल रही है।