हजारीबाग। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का झारखंड से गहरा लगाव था। उन्होंने 21 फरवरी 1953 को कोडरमा के झुमरीतिलैया में डीवीसी के बनाए पहले डैम का उद्घाटन किया था। उनके साथ तत्कालीन बिहार के राज्यपाल अनंत सायनम अयंगर और बंगाल के सीएम विधानचंद्र राय आए थे। हजारीबाग के प्रथम सांसद बाबू रामनारायण सिंह भी उनके साथ थे।
तिलैया बांध दामोदर घाटी निगम की ओर से बनाया गया पहला बांध और जलविद्युत स्टेशन है। इस बांध का ऐतिहासिक महत्व भी है कि यह स्वतंत्र भारत में बनाया गया पहला बांध है और इसका उद्घाटन तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था। यह बांध 1200 फीट लंबा और 99 फीट ऊंचा है।
तिलैया जलाशय 36 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। तिलैया के आसपास कई शैक्षिक संस्थान हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध सैनिक स्कूल (आर्मी स्कूल), तिलैया है। सारा क्षेत्र हरे-भरे वृक्षों से घिरा हुआ है। यह पिकनिक के लिए भी एक आदर्श स्थान है। इस बांध का मुख्य उद्देश्य बाढ़ रोकना था। यहां के जलविद्युत स्टेशन की क्षमता चार मेगावाट है।
झुमरी तिलैया के आसपास के पर्यटन स्थल राजगीर, नालंदा और हजारीबाग सेंचुरी, सोनभंडार गुफाएं (यहां मौर्य खजाने के होने की अफवाहें), सम्मेद शिखर जैन तीर्थ, ध्वजधारी पहाड़ी, सतगावां पेट्रो फॉल, संत परमहंस बाबा की समाधि, मकमरो पहाड़ियां और मां चंचला देवी शक्तिपीठ हैं।
वहीं दिसंबर 1959 को जवाहरलाल नेहरू ने डीवीसी के बनाए पंचेत डैम का उद्घाटन संताली युवती बुधनी से कराई थी। हालांकि बाद में इस पर काफी विवाद हुआ था और नेहरूजी के विरोधियों ने यहां तक कह दी थी कि उस युवती को फिर संताली समाज ने स्वीकार नहीं किया।