विशेषः देवोत्थान एकादशी पर आज जागेंगे भगवान विष्णु, जानें तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

झारखंड
Spread the love

रांची। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल देवउठनी एकादशी 14 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी के विवाह का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं और इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं।

मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त कार्तिक मास एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 29 मिनट तक है। इसके बाद द्वादशी शुरू हो जाएगी। ऐसे में तुलसी विवाह 15 नवंबर, दिन सोमवार को किया जाएगा। द्वादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी, जो 16 नवंबर को सुबह 8 बजकर 1 मिनट तक रहेगी।

तुलसी विवाह की पूजा के लिए एक चौकी पर आसन बिछा लें इसके बाद तुलसी और शालीग्राम की मूर्ति चौकी पर स्थापित करें। चौकी के चारों और गन्ने का मण्डप सजाएं और कलश स्थापित करें। फिर इसके बाद कलश और गौरी गणेश का पूजन करें। अब मां तुलसी और भगवान शालीग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, फूल अर्पित करें। तुलसी माता को श्रृगांर के सामान और लाल चुनरी चढ़ाएं। पूजा के बाद तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करें। फिर इसके बाद हाथ में आसन समेत शालीग्राम को लेकर तुलसी के सात फेरे लें। फेरे पूरे होने के बाद भगवान विष्णु और तुलसी की आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बाटें।

ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन दान करना बहुत अच्छा होता है। अगर हो सके तो एकादशी के दिन गंगा स्नान अवश्य करें। अगर विवाह करने में परेशानी आ रही है तो इन बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला और हल्दी का दान करना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।